देश की नई कर व्यवस्था जीएसटी 2.O अब आधिकारिक रूप से लागू हो चुकी है। 22 सितंबर 2025 को मध्यरात्रि से यह नई प्रणाली पूरे देश में प्रभावी हो गई। सरकार का दावा है कि इससे टैक्स ढांचा सरल, पारदर्शी और डिजिटल रूप से मजबूत होगा। लेकिन जैसे ही यह लागू हुई, बाज़ारों में सबसे बड़ा सवाल गूंज उठा—क्या अब भी दुकानदार अपने पुराने स्टॉक को पुराने रेट पर बेच पाएंगे या जीएसटी 2.O लागू होने के बाद उस पर भी नया टैक्स लागू होगा?
पुराना स्टॉक और नया टैक्स: क्या है असली स्थिति
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, टैक्स निर्धारण “सप्लाई की तारीख” यानी सामान की बिक्री की तारीख पर आधारित होगा। इसका मतलब साफ है—भले ही स्टॉक पुराना हो, लेकिन अगर वह 22 सितंबर के बाद बेचा जा रहा है, तो उस पर नया जीएसटी रेट ही लागू होगा।
हालांकि, मंत्रालय ने छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए 30 दिन का संक्रमण काल (Transitional Period) घोषित किया है। इस दौरान व्यापारी अपने पुराने स्टॉक को पुराने रेट पर बेच सकते हैं, बशर्ते कि उनके पास उसका बिल और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का पूरा रिकॉर्ड मौजूद हो। इसके बाद सभी बिक्री पर नया रेट स्वतः लागू होगा।
बाजार में मची हलचल
भारत पल्स न्यूज की टीम ने हरिद्वार, मेरठ, आगरा, और लखनऊ जैसे शहरों के बाजारों का दौरा किया। वहां स्थिति साफ थी—व्यापारी राहत महसूस कर रहे हैं कि सरकार ने उन्हें थोड़ा समय दिया है, मगर चिंता अभी भी बरकरार है।
हरिद्वार के रोशनाबाद में स्थित राधे मेडिकल स्टोर के मालिक ने बताया,
“सरकार ने 30 दिन की राहत दी है, ये अच्छा कदम है। लेकिन असली दिक्कत यह है कि दवाइयों के पुराने स्टॉक को नए रेट में समायोजित करना आसान नहीं होगा। हमारे पास महीनों पुरानी दवाइयाँ हैं जिनकी इनवॉइस भी पुरानी तारीखों की है।”
राशन और जनरल स्टोर संचालक भी यही कह रहे हैं कि रिकॉर्ड में पारदर्शिता तो अच्छी बात है, मगर सिस्टम की जटिलता उन्हें परेशान कर रही है। ग्रामीण इलाकों में कई दुकानदारों के पास अब भी डिजिटल बिलिंग की सुविधा नहीं है।
टैक्स क्रेडिट और डिजिटल निगरानी
जीएसटी 2.O की सबसे बड़ी विशेषता इसका रीयल-टाइम डिजिटल डेटा इंटीग्रेशन है। अब हर खरीद-बिक्री की जानकारी सीधे केंद्रीय पोर्टल से जुड़ जाएगी। इससे सरकार को यह पता रहेगा कि किस व्यापारी ने पुराने टैक्स पर खरीदा माल किस दर पर बेचा।
इससे फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी, लेकिन व्यापारियों को अब अपने सभी रेकॉर्ड पूरी तरह डिजिटल रखने होंगे। इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का मिलान भी स्वतः होगा, जिससे गलत क्लेम की संभावना घटेगी।
फाइनेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कदम व्यापार में पारदर्शिता तो बढ़ाएगा, लेकिन शुरुआती दिनों में छोटे व्यापारियों के लिए तकनीकी चुनौतियाँ जरूर लाएगा।
उपभोक्ताओं पर सीधा असर
उपभोक्ताओं के लिए पहले कुछ हफ्ते अस्थिरता भरे रह सकते हैं।
जिन वस्तुओं पर नया टैक्स बढ़ा है, उनके दामों में हल्का इज़ाफा दिखेगा। वहीं जिन वस्तुओं पर टैक्स दरें कम की गई हैं—जैसे कुछ घरेलू सामान और दवाइयाँ—उनकी कीमतें धीरे-धीरे घट सकती हैं।
फिलहाल बाजार में मिश्रित स्थिति है। कुछ व्यापारी पुराने रेट पर सेल लगा रहे हैं ताकि 30 दिन के भीतर स्टॉक खाली हो जाए, जबकि कुछ नए रेट के हिसाब से मूल्य टैग अपडेट कर रहे हैं।
सरकार का दावा और भविष्य की दिशा
वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि जीएसटी 2.O देश की “डिजिटल टैक्स क्रांति” की शुरुआत है। सरकार का कहना है कि नई प्रणाली में रिटर्न फाइलिंग सरल होगी, रिफंड तेज़ मिलेगा और टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा।
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पुराने स्टॉक पर राहत केवल सीमित अवधि तक ही मान्य है। उसके बाद हर बिक्री पर नया टैक्स दर स्वतः लागू होगी।
सरकार का उद्देश्य केवल राजस्व बढ़ाना नहीं, बल्कि टैक्स ढांचे को निष्पक्ष और डिजिटल रूप से ट्रैक करने योग्य बनाना है।
छोटे व्यापारियों की मांग
भारत पल्स न्यूज को प्राप्त रिपोर्ट्स के अनुसार, कई व्यापार मंडलों ने मांग की है कि सरकार संक्रमण काल को 60 दिन तक बढ़ाए, क्योंकि ग्रामीण और छोटे शहरों के व्यापारी नई डिजिटल प्रणाली में ढलने के लिए अभी तैयार नहीं हैं।
मेरठ ट्रेडर्स यूनियन के अध्यक्ष ने कहा,
“हम सरकार के कदम का स्वागत करते हैं, लेकिन बदलाव अचानक हुआ है। हमें सॉफ़्टवेयर, इनवॉइसिंग और आईटीसी समायोजन समझने में समय लगेगा।”
निष्कर्ष: राहत सीमित, बदलाव स्थायी
अब यह स्पष्ट है कि जीएसटी 2.O लागू होने के बाद “पुराना स्टॉक पुराने रेट पर बिकेगा” यह नियम केवल सीमित समय के लिए ही लागू है। उसके बाद सभी बिक्री नए टैक्स ढांचे के अनुसार ही होंगी।
उपभोक्ताओं के लिए इसका मतलब है—कुछ वस्तुओं में अस्थायी बढ़ोतरी और फिर धीरे-धीरे स्थिर बाजार।
व्यापारियों के लिए यह एक परीक्षा का समय है, जहां पारदर्शिता, रिकॉर्ड और डिजिटल सिस्टम को अपनाना अनिवार्य होगा।
आखिरकार, जीएसटी 2.O सिर्फ एक टैक्स सुधार नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक व्यवस्था में अनुशासन और जवाबदेही का नया अध्याय बनकर उभरा है—जहां हर लेनदेन का साक्षी अब डेटा होगा।
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