देश में आज फिर भारत बंद। मुद्दे कई, पर असर वही पुराना — आम जनता की जेब और दिनचर्या पर सीधा प्रहार।
भारत पल्स न्यूज एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में जानिए आखिर इस बंद से किसका क्या भला होगा, और कौन-कौन मुश्किल में पड़ेगा।
किसने बुलाया है यह भारत बंद?
तो जनाब, वजहें एकदम ‘जनहित’ में बताई गई हैं — न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, बिजली बिल वापसी…
किसान संगठन, कुछ ट्रेड यूनियन और राजनीतिक मंच इसे समर्थन दे रहे हैं।
पर सवाल वही, ये बंद किसका भला करेगा?
क्या किसान की थाली भर जाएगी, या मजदूर की दिहाड़ी बढ़ जाएगी?
क्या बाजारों की रौनक फिर फीकी पड़ेगी?
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार जैसे राज्यों में बाज़ारों की शक्ल आज बदली-बदली रहेगी।
कई जगह व्यापारियों ने डर के मारे खुद ही दुकानें बंद रखनी तय कर लीं।
तो क्या यह लोकतंत्र में विरोध का अधिकार है, या डर का दबाव?
ट्रांसपोर्ट ठप होने का डर
बसें कम चलेंगी, ऑटो-टैक्सी वाले भी हाथ खड़े कर सकते हैं।
भारत पल्स न्यूज को कई जगहों से खबरें मिली हैं कि प्राइवेट बस यूनियन बंद को ‘मूक समर्थन’ दे रही है।
रेलवे का दावा जरूर है कि हमारी ट्रेने चलेंगी।
लेकिन क्या पटरी पर प्रदर्शन करने वाले अचानक नहीं बैठ जाएंगे?
बैंकिंग रहेगी या अटकेगी?
कुछ बैंक यूनियन ने समर्थन की बात कही है, पर सीधा हड़ताल में कूदने से इनकार किया है।
तो बैंक खुले तो रहेंगे, पर वहां काम की रफ्तार कम हो सकती है।
कहीं लंबी लाइन, कहीं ‘आज नहीं होगा’ की तख्ती।
स्कूल-कॉलेज का क्या?
कई स्कूलों ने एहतियातन छुट्टी का ऐलान किया है।
तो बच्चों के लिए छुट्टी का ‘अदृश्य उपहार’ जरूर, मगर अभिभावकों के लिए दिक्कत।
और जिन जगहों पर परीक्षाएं हैं, वहां छात्र खुद देखें — कहीं बंद की भेंट न चढ़ जाए उनका भविष्य।
मेडिकल सेवाओं को तो बख्श दो भाई
स्वास्थ्य सेवाएं आमतौर पर बंद से बाहर रखी जाती हैं।
हॉस्पिटल, मेडिकल स्टोर, एंबुलेंस चलती रहेंगी।
पर भीड़-भाड़ या रास्ते बंद होने से मरीजों को परेशानी तो हो ही सकती है।
पुलिस और प्रशासन कितने मुस्तैद?
पुलिस ने कमर कस ली है।
जगह-जगह सुरक्षा बल तैनात हैं, ड्रोन से निगरानी भी की जा रही है।
पर क्या सच में कोई गड़बड़ी नहीं होगी?
या फिर प्रशासन ‘बाद में देखेंगे’ वाला रवैया अपनाएगा?
ऑनलाइन शॉपिंग और होम डिलीवरी
ई-कॉमर्स कंपनियां दावा कर रही हैं कि उनका काम सामान्य रहेगा।
पर रास्तों में प्रदर्शन हुए, तो डिलीवरी भी देर से पहुंचेगी।
कहीं ऐसा न हो कि ऑनलाइन ऑर्डर किए दूध-फूल भी कल तक ही आएं।
आखिर क्यों भुगते सिर्फ जनता?
सबसे बड़ा सवाल यही है।
हर बार की तरह — जो झगड़ रहे हैं, उनके घर की रसोई तो कल भी चलेगी, आज भी चल रही है।
पीड़ित तो वही रोज़ कमाने-खाने वाला इंसान।
क्या उसका कोई ‘भारत बंद’ होता है, जब उसकी कमाई ठप हो जाती है?
गद्दारी करबे का नजरिया
भारत पल्स न्यूज की विशेष सीरीज गद्दारी करबे इसी पर जोर डालती है —
कहीं न कहीं यह गद्दारी भी तो है, उस भरोसे के साथ जो जनता को व्यवस्था पर है।
जो सड़क पर उतरने वाले अपने मतलब के लिए सबकुछ रोक देते हैं, क्या वो देश के भरोसे की भी हत्या नहीं करते?
निष्कर्ष
इस भारत बंद में भी वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही है।
बाजार बंद, गाड़ियां बंद, स्कूल बंद।
पर लोगों की समस्याएं? वो तो बदस्तूर चालू हैं।
क्या हम सच में ऐसी हड़तालों से समस्याओं का हल चाहते हैं, या सिर्फ दिखावा?
भारत पल्स न्यूज आने वाले घंटों में आपके लिए पल-पल की अपडेट लाता रहेगा।
तब तक सावधानी रखें, अफवाहों से बचें और सोचें —
क्या यह वाकई आपके हक में हो रहा है?
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