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दिवाली की तिथि को लेकर क्यों मचा है कन्फ्यूजन !

दीपाबली को लेकर संसय दूर इस दिन मनेगी दिवाली

हर साल की तरह इस बार भी दिवाली को लेकर लोगों में उत्साह है, लेकिन 2025 में मामला थोड़ा उलझा हुआ है। सोशल मीडिया से लेकर बाजारों तक चर्चा है कि इस बार दीपावली आखिर अक्टूबर में पड़ेगी या नवंबर में। पंचांगों में तारीख को लेकर असहमति दिखाई दे रही है, और इसी वजह से देशभर में कन्फ्यूजन का माहौल है।

दरअसल, भारतीय कैलेंडर की गणना चांद्र मास पर आधारित होती है, न कि सौर कैलेंडर पर। यही वजह है कि हर साल त्योहारों की तिथि बदलती रहती है। दीपावली अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, जब चांद पूरी तरह लुप्त होता है और रात सबसे अंधेरी मानी जाती है। लेकिन इस बार अमावस्या का समय दो दिनों के बीच पड़ने से उलझन बढ़ गई है।

कहां से शुरू हुआ तिथि विवाद

खगोल विज्ञानियों और पंचांग विशेषज्ञों के मुताबिक, 2025 में कार्तिक अमावस्या दो तारीखों — 20 और 21 अक्टूबर — के बीच पड़ रही है। यही असमंजस की जड़ है। एक पक्ष का कहना है कि अमावस्या तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर की रात को होगा, जबकि दूसरा पक्ष मानता है कि पूजा के योग्य समय 21 अक्टूबर को है। धार्मिक परंपरा में अमावस्या तिथि के “प्रदोषकाल” यानी सूर्यास्त के समय को सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसीलिए कई पंडितों का तर्क है कि यदि उस समय अमावस्या चल रही हो, तो वही दिन दीपावली का माना जाएगा।


धार्मिक दृष्टि से क्या है मान्यता

धर्मशास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि लक्ष्मी पूजा हमेशा उस दिन होनी चाहिए, जब अमावस्या तिथि प्रदोषकाल में रहे। यही कारण है कि कई बार दिवाली की तारीख अगले दिन तक खिंच जाती है। इस बार भी यही स्थिति बन रही है।
कुछ पंडितों के अनुसार, 2025 में 20 अक्टूबर की रात अमावस्या शुरू होगी, लेकिन सूर्यास्त के समय तक वह पूर्ण रूप से नहीं होगी। ऐसे में अगले दिन, यानी 21 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा करना शुभ रहेगा।

दूसरी ओर, कुछ क्षेत्रों में परंपरागत रूप से पहली तिथि को ही दीपावली मनाने का रिवाज है, चाहे अमावस्या प्रदोषकाल में आए या न आए। यही वजह है कि अलग-अलग राज्यों और समुदायों में तिथि को लेकर मतभेद बढ़ते हैं।

hands and wax candles around

सोशल मीडिया और अफवाहों का असर

आजकल फेस्टिव सीजन की जानकारी सिर्फ पंचांग से नहीं बल्कि सोशल मीडिया से भी तय होती है। हर साल की तरह इस बार भी फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर पोस्ट घूम रही हैं—“इस साल दीपावली 20 अक्टूबर को है” या “लक्ष्मी पूजा 21 को करनी चाहिए”।
लोगों के बीच यह द्वंद बढ़ता जा रहा है कि आखिर सही तिथि कौन सी है। भारत पल्स न्यूज द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि देश के कई प्रमुख ज्योतिष संस्थानों ने भी अपने-अपने पंचांगों के आधार पर अलग-अलग तिथियां घोषित की हैं।

बाजारों पर भी असर

त्योहारों का सीधा संबंध बाजार से होता है। दिवाली के आसपास व्यापारियों की सालभर की कमाई तय होती है। लेकिन जब तिथि को लेकर कन्फ्यूजन हो, तो व्यापारी भी दुविधा में रहते हैं कि बिक्री अभियान कब से शुरू करें।
दिल्ली, जयपुर, और लखनऊ के बाजारों में सजावट शुरू हो चुकी है, मगर दुकानदारों के बीच चर्चा है कि “अगर तारीख आगे बढ़ी तो स्टॉकिंग का नुकसान होगा।”
भारत पल्स न्यूज की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि मिठाई कारोबारियों ने उत्पादन थोड़ा धीमा कर दिया है ताकि तारीख पक्की होते ही मांग के अनुसार सप्लाई दी जा सके।

खगोल विज्ञान क्या कहता है

खगोलशास्त्रियों की गणना के अनुसार, अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर 2025 की रात 11:58 बजे शुरू होगी और 21 अक्टूबर को रात 10:45 बजे समाप्त होगी।
यदि इस हिसाब से देखा जाए तो सूर्यास्त के समय यानी प्रदोषकाल में अमावस्या 21 तारीख को होगी। इस दृष्टि से वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोणों से 21 अक्टूबर को दीपावली मनाना अधिक सटीक माना जा सकता है।

राज्यवार परंपराएं भी अलग

भारत जैसे विविधताओं वाले देश में त्योहारों की परंपराएं भी क्षेत्र के अनुसार बदलती हैं। उत्तर भारत में जहां लक्ष्मी पूजा पर जोर होता है, वहीं दक्षिण भारत में दीपावली को नरक चतुर्दशी के साथ जोड़ा जाता है।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में त्योहार 20 अक्टूबर को मनाए जाने की संभावना है, जबकि उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में यह 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
यानी पूरे देश में दीपों का उत्सव दो दिनों तक फैला रहेगा, जो अपने आप में सांस्कृतिक उत्सव की खूबसूरत झलक पेश करता है।

धोखाधड़ी और फेक ऑफर्स से रहें सावधान

त्योहार के मौसम में ऑनलाइन ठगी के मामले भी तेजी से बढ़ते हैं। भारत पल्स न्यूज की साइबर रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल दिवाली सीजन में नकली वेबसाइटों और फेक ऑफर्स के जरिये हजारों लोगों से ठगी हुई थी।
इस बार भी चेतावनी जारी की गई है कि 2025 के फेस्टिव सीजन में खरीदारी करते समय सिर्फ भरोसेमंद वेबसाइटों से ही लेन-देन करें।

निष्कर्ष

दीपावली की तिथि को लेकर जो कन्फ्यूजन है, वह सिर्फ धार्मिक गणना की जटिलता नहीं बल्कि परंपराओं की विविधता का भी प्रमाण है।
एक दिन का फर्क इस बात को दर्शाता है कि भारत की संस्कृति कितनी गहरी और बहुआयामी है।
अंततः, चाहे दिवाली 20 अक्टूबर को मनाएं या 21 को — असली मकसद अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना है।
और यही संदेश भारत पल्स न्यूज अपने पाठकों तक हर साल की तरह इस साल भी पहुंचा रहा है —
दीप जलाइए, लेकिन विवेक के साथ।