
सावन आते ही प्रकृति हरीतिमा की चादर ओढ़ लेती है। कहीं खेतों में नन्हीं कोपलें फूटती हैं तो कहीं नदियां कल-कल बहने लगती हैं। लेकिन भारत की आस्था में यह महीना केवल प्राकृतिक उल्लास नहीं लाता, बल्कि शिव भक्ति की अद्भुत लहर भी उठाता है। भारत पल्स न्यूज की विशेष रिपोर्ट में आज हम आपको बताएंगे कि पहला सावन का सोमवार जो इस वर्ष 14 जुलाई को पड़ रहा है, उसमें कैसे करें भोलेनाथ की आराधना ताकि आपका जीवन भी शिवमय हो जाए।
क्यों खास है सावन और सोमवार का मेल?
सोमबार, भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। जब यह सावन में आता है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन में निकले विष को जब देवता-दानव संभाल नहीं पाए तो शिव ने उसे गले में धारण कर लिया। तभी से यह महीना शिव के प्रति कृतज्ञता और भक्ति का महीना बन गया।
हरिद्वार की कांवड़ यात्रा का महत्व
हरिद्वार में इन दिनों आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। देश के कोने-कोने से कांवड़िए गंगा जल लेने यहां आते हैं और फिर पैदल चलते हुए अपने-अपने गांवों, शहरों के शिवालयों में वह जल चढ़ाते हैं। यह दृश्य सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामूहिक श्रद्धा और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। भारत पल्स न्यूज की टीम ने हरिद्वार से कई श्रद्धालुओं से बात की, उनका कहना है कि साल भर की प्रतीक्षा के बाद यह समय उन्हें अद्भुत ऊर्जा देता है।

कैसे करें पहला सोमवार विशेष
- ब्राह्ममुहूर्त में उठें:
इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। संभव हो तो गंगा जल डालकर स्नान करें। - शिवलिंग का अभिषेक:
दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल और शक्कर से बने पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। - बिल्व पत्र अर्पित करें:
शिव पूजा में बिल्व पत्र का अत्यंत महत्व है। तीन पत्तों वाला बिल्व पत्र चढ़ाएं और ध्यान रखें वह टूटा हुआ न हो। - धतूरा व भांग:
भोलेनाथ को धतूरा और भांग अर्पण करना भी विशेष फलदायी माना गया है। - ॐ नमः शिवाय का जप करें
कम से कम 108 बार इस महामंत्र का जाप करें। इससे चित्त शुद्ध होता है और मन की इच्छाएं पूरी होती हैं।
व्रत और संयम का पालन क्यों?
सावन के सोमवार को व्रत रखने से मन, वाणी और कर्म में पवित्रता आती है। इस व्रत में एक समय फलाहार करना या दूध पर निर्भर रहना उत्तम कहा गया है। धार्मिक दृष्टि से संयम का यह अभ्यास आत्मनियंत्रण सिखाता है।
क्या कहते हैं पंडित और शास्त्र?
भारत पल्स न्यूज की विशेष बातचीत में पंडित हरिदत्त शर्मा बताते हैं कि सावन के सोमवार का व्रत विशेषकर कुंवारी कन्याओं द्वारा उत्तम वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। वहीं गृहस्थ लोग इसे सुख-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण के लिए करते हैं। स्कंद पुराण और शिव पुराण में इस व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन है।
सावन में ये न करें
- इस महीने मांसाहार, मद्यपान व तामसिक भोजन से पूरी तरह बचें।
- झूठ बोलने और कटु वचन कहने से परहेज करें।
- क्रोध न करें, इससे व्रत का पुण्य क्षीण होता है।
आध्यात्मिक लाभ ही क्यों, स्वास्थ्य लाभ भी
बारिश के मौसम में पाचन शक्ति कम हो जाती है। सावन में व्रत रखने से शरीर को भी आराम मिलता है। साथ ही इस मौसम में व्रत का हल्का भोजन पेट के लिए उत्तम माना जाता है।
शिव के स्वरूप से जुड़ने का पर्व
सावन सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, यह आत्मचिंतन का भी समय है। जब आप शिव के ध्यान में बैठते हैं तो अपने भीतर के ‘रौद्र’ को भी नियंत्रित करते हैं। शिव संहारक होते हुए भी करुणामय हैं। वे हमें सिखाते हैं कि जीवन में कितना भी विष हो, उसे गले लगाकर भी शांत रहा जा सकता है।
निष्कर्ष
तो इस 14 जुलाई, पहले सावन के सोमवार पर केवल पूजा न करें, बल्कि अपने व्यवहार, वाणी और सोच को भी शिवमय बनाएं। यही सच्ची आराधना है।
भारत पल्स न्यूज की यह विशेष श्रृंखला गद्दारी करबे के अगले एपिसोड में हम देखेंगे कि कैसे कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए रिश्तों को ही छल देते हैं। लेकिन फिलहाल, शिव के इस पावन महीने में प्रेम, विश्वास और त्याग को जीवन में उतारें। यही शिव की सच्ची पूजा है।
भारत पल्स न्यूज आपके लिए लाता रहेगा ऐसे ही विशेष आलेख। हमारे साथ जुड़े रहें, पढ़ते रहें, सोचते रहें।
हर हर महादेव!
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