
पुरी रथयात्रा भगदड़ ने ओडिशा की पवित्र धरती पर एक ऐसा जख्म दे दिया है, जिसे आने वाले सालों तक लोग भूल नहीं पाएंगे।
हर साल जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा के लिए उमड़ने वाली लाखों की भीड़ इस बार एक खूबसूरत महोत्सव की जगह चीखों और सिसकियों का मंजर बन गई।
भक्ति का वही महासागर, जो हर बार पुण्य की गाथा लिखता है, इस बार खून से लाल हो गया।
आज सुबह श्री गुंडिचा मंदिर के पास जब रथयात्रा अपने चरम पर थी, तभी अचानक धक्का-मुक्की के बीच मची भगदड़ ने सैकड़ों श्रद्धालुओं की सांसें थमा दीं।
करीब 50 लोग घायल हुए और कम से कम 3 श्रद्धालुओं ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
पुरी रथयात्रा भगदड़ ने साबित कर दिया कि भीड़ प्रबंधन में थोड़ी सी चूक कितनी भारी पड़ सकती है।
कैसे टूटा मौत का यह मंजर
गवाहों की मानें तो घटना का सिलसिला मामूली धक्का-मुक्की से शुरू हुआ।
भीड़ के दबाव में कुछ लोग फिसल कर गिर गए और देखते-देखते उन पर दर्जनों पैर पड़ने लगे।
जिसे लोग संभालने की कोशिश कर रहे थे, वहीं अन्य भी डर के मारे आगे बढ़ने लगे।
हालात इतने बेकाबू हो गए कि कुछ ही पलों में भगदड़ का रूप ले लिया।
करीब पचास से ज्यादा लोग चोटिल हो गए। तीन श्रद्धालुओं की तो सांसें वहीं थम गईं।
मंदिर के आस-पास बिखरे जूते-चप्पल और खून के धब्बे इस हंगामे की गवाही दे रहे थे।
प्रशासन की नींद टूटी, अफसरों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई
ओडिशा सरकार ने इस लापरवाही पर बिजली की रफ्तार से कार्रवाई की।
पुरी के डीएम और एसपी का ट्रांसफर कर दिया गया।
वहीं, ड्यूटी में भारी चूक करने पर डीसीपी विष्णु पति और कमांडेंट अजय पाधी को सस्पेंड कर दिया गया।
इस हादसे ने साफ कर दिया कि भीड़ प्रबंधन नाम की कोई चीज़ वहां थी ही नहीं।
स्थानीय लोगों का गुस्सा भी उफान पर है। कई श्रद्धालुओं ने कहा, “प्रशासन रथ खींचने वालों को संभालने में तो लगा रहा, मगर सुरक्षा इंतज़ाम की कमर टूटी ही रही।”
मुख्यमंत्री की संवेदनाएं और विपक्ष का तंज
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पूरे जगन्नाथ भक्त समुदाय से क्षमा मांगी।
उन्होंने कहा,
“मैं और मेरी सरकार उन परिवारों से दिल से माफी मांगते हैं जिन्होंने अपनों को खोया। महाप्रभु से यही प्रार्थना है कि उन्हें यह वज्राघात सहने की शक्ति दें।”
मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा भी की।
हालांकि विपक्ष ने इसे नाकामी का प्रमाण बताया।
बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक ने तीखा हमला बोलते हुए कहा,
“पुरी प्रशासन भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सका। इस विफलता ने ओडिशा की छवि को गहरा आघात पहुंचाया है।”
अब चलेगी पुरी रथयात्रा भगदड़ पर बड़ी जांच, भविष्य के लिए सबक
राज्य सरकार ने इस घटना की विस्तृत प्रशासनिक जांच के आदेश दिए हैं।
विकास आयुक्त इसकी निगरानी करेंगे और दोषियों को जल्द बेनकाब करने की बात कही जा रही है।
साथ ही पुलिस व नगर प्रशासन आने वाले आयोजनों में ड्रोन सर्विलांस, स्वचालित अवरोधकों और विशेष प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को तैनात करने की रूपरेखा पर भी मंथन कर रहे हैं।
भारत पल्स न्यूज की ज़मीन से रिपोर्ट
पुरी के श्री गुंडिचा मंदिर परिसर में आज भी हादसे के घंटों बाद सन्नाटा पसरा दिखा।
वहीं ज़मीन पर बिखरी टूटी चूड़ियां, गिरे हुए कपड़ों के टुकड़े और कई श्रद्धालुओं की कराह अब भी हवा में तैरती हुई महसूस हो रही थी।
यह मंजर साफ बताता है कि जब श्रद्धा पर भीड़ का दबाव भारी पड़ जाए, तब भक्ति भी रक्तरंजित हो सकती है। और प्रशासन की लापरवाही आस्था को मौत के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर देती है और बेबस होती है तो सिर्फ जिंदगी
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