
देश इस समय एक बार फिर मौसम की भीषण मार झेल रहा है। मानो आसमान फट पड़ा हो। जगह-जगह बादल इस कदर बरस रहे हैं कि नदियां उफान पर हैं और पहाड़ दरक रहे हैं। बाढ़ और भूस्खलन का ये खौफनाक मंजर उत्तर भारत से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक साफ देखा जा सकता है।
भारत पल्स न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि इस बार बारिश ने हिमालयी राज्यों और गंगा के मैदानी इलाकों में कुछ ज्यादा ही कहर बरपा रखा है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग, श्रीनगर और हरिद्वार में गंगा और अलकनंदा अपने प्रचंड रूप में बह रही हैं। इन इलाकों में कई पुल ढह चुके हैं। लोग सहमे हुए हैं कि कब उनका घर पानी में समा जाए।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, चंबा और किन्नौर जिलों में भारी बारिश से पहाड़ की मिट्टी इतनी भीग गई है कि जगह-जगह भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। हाईवे के कई सेक्शन मलबे से पट चुके हैं। पर्यटकों की गाड़ियां घंटों-घंटों फंसी रह रही हैं।
बिहार और असम में सबसे भयावह हालात
बिहार की बात करें तो दरभंगा, सहरसा और कटिहार जैसे जिलों में गंगा, घाघरा और कोसी नदियों ने खतरे का निशान लांघ लिया है। गांव के गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं। कई लोग अपने मवेशियों के साथ छतों पर शरण लिए हुए हैं।
पूर्वोत्तर में भी स्थिति बेहद नाजुक है। भारत पल्स न्यूज़ के असम संवाददाता के मुताबिक, ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियां तांडव मचा रही हैं। धान की फसलें पूरी तरह डूब गई हैं। कई इलाकों में तो नाव ही इकलौता सहारा रह गई है। मणिपुर और त्रिपुरा में भी जलभराव से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त है।

मौसम विभाग की चेतावनी — अभी राहत नहीं
मौसम विभाग ने अगले 7 दिनों के लिए कई राज्यों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि तेज बारिश के साथ बादलों का डेरा और बना रहेगा। विशेषकर उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार और असम में हालात और बिगड़ सकते हैं।
एक वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ने भारत पल्स न्यूज़ को बताया कि इस बार मानसून ट्रफ लाइन सामान्य से उत्तर की तरफ खिसकी हुई है, जिससे उत्तर भारत और पूर्वोत्तर में मूसलाधार बारिश हो रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसे पैटर्न अब अक्सर देखने को मिलेंगे।
प्रशासन अलर्ट पर, पर दिक्कतें कम नहीं
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं। ड्रोन से बाढ़ग्रस्त इलाकों की निगरानी की जा रही है। मगर कई दूरदराज के गांवों तक अब भी राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है।
हिमाचल में 200 से ज्यादा सड़कें पूरी तरह बंद हैं। उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा भी एहतियातन कई घंटों के लिए रोकी जा चुकी है। बिहार में बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
आस्था, मनोरंजन और कारोबार पर असर
उत्तर भारत के कई धार्मिक स्थल भी इससे प्रभावित हुए हैं। मानसून के इस मौसम में अमरनाथ यात्रा को लेकर भी प्रशासन काफी सतर्क है।
मनोरंजन और खेल जगत में भी इसकी मार देखने को मिल रही है। कई क्रिकेट मैच बारिश की वजह से रद्द हो चुके हैं। पर्यटन उद्योग को भी गहरा धक्का लगा है। लोग हिमाचल और उत्तराखंड जाने की योजना फिलहाल टाल रहे हैं।
वहीं बिहार और असम के हाट-बाजारों में ग्राहक नदारद हैं। व्यापारी बताते हैं कि न केवल आमदनी ठप है, बल्कि दुकान का सामान भी भीगकर खराब हो रहा है।
विशेषज्ञों की चेतावनी — जलवायु को हल्के में न लें
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन अब महज किताबों की बात नहीं रही। भारत पल्स न्यूज़ के विशेष कार्यक्रम में एक पर्यावरण विश्लेषक ने कहा,
“भूगर्भीय हलचलें और बेतरतीब बारिश आने वाले समय में बड़ी चुनौतियां लेकर आएंगी। हमें अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और जीवनशैली में बदलाव लाने होंगे, वरना हर साल ऐसा संकट और गहराता जाएगा।”
भारत पल्स न्यूज़ की सलाह
- मौसम विभाग की चेतावनियों को हल्के में न लें।
- अनावश्यक यात्रा से बचें।
- प्रशासन द्वारा तय सुरक्षित रूट और शेल्टर का ही प्रयोग करें।
- बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोग अपने जरूरी कागज और सामान सुरक्षित स्थान पर रखें।
यह सिर्फ बारिश नहीं, प्रकृति का वो चेतावनी भरा संदेश है जो हमें बार-बार आगाह कर रहा है।
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