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जानिए क्या होता है लिव-इन रिलेशनशिप: सामाजिक बदलाव या कानूनी चुनौती?

लिव-इन-रिलेशनशिप

समाज के बदलते स्वरूप में आज रिश्तों की परिभाषाएं पारंपरिक सीमाओं से परे निकल रही हैं। ऐसा ही एक संबंध है लिव-इन रिलेशनशिप, जिसे आधुनिक पीढ़ी ने जीवनशैली का हिस्सा बना लिया है। एक ऐसा मॉडल जिसमें दो वयस्क बिना विवाह के एक साथ रहते हैं — साझेदारी में, लेकिन विधिवत पति-पत्नी के रूप में नहीं।

लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा क्या है?

लिव-इन रिलेशनशिप यानी एक ऐसा संबंध जिसमें एक स्त्री और पुरुष बिना विवाह के एक ही घर में एक दांपत्य जीवन की तरह साथ रहते हैं। यह किसी कानूनी दस्तावेज या धार्मिक रीति से बंधा नहीं होता, बल्कि पूर्णतः सहमति पर आधारित होता है।

वर्तमान समय में, खासकर शहरी युवा वर्ग के बीच यह संबंध लोकप्रियता हासिल कर रहा है। कुछ लोग इसे आधुनिकता की निशानी मानते हैं, तो कुछ इसे पारंपरिक विवाह संस्था के प्रति अविश्वास का प्रतीक।

भारत में लिव-इन रिलेशनशिप की स्थिति

लिव-इन-रिलेशनशिप

भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध, परंतु पारंपरिक सोच से बंधे समाज में लिव-इन रिलेशनशिप को लंबे समय तक सामाजिक अस्वीकार्यता का सामना करना पड़ा। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में देश की न्यायिक प्रणाली ने इस विषय को गंभीरता से लिया है और इस पर कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं।

भारत पल्स न्यूज की रिपोर्टों के अनुसार, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि दो वयस्क आपसी सहमति से साथ रहना चाहते हैं, तो यह अवैध नहीं है। अदालत ने इसे “कानूनन वैध सह-अस्तित्व” माना है, बशर्ते दोनों वयस्क हों और संबंध जबरदस्ती या धोखे पर आधारित न हो।

रिलेशनशिप और कानून का द्वंद्व

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इन निर्णयों ने स्पष्टता दी है, फिर भी रिलेशनशिप भारतीय कानून के तहत कुछ अस्पष्टताएं बनी हुई हैं। खासकर जब बात संपत्ति के अधिकार, बच्चों की अभिरक्षा और घरेलू हिंसा के मामलों की आती है।

डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005 में संशोधन कर लिव-इन में रह रही महिलाओं को भी कुछ अधिकार दिए गए हैं, लेकिन उन्हें साबित करना होता है कि वह संबंध “मैरिज लाइक रिलेशनशिप” था। यह कानूनी कसौटी न केवल जटिल है, बल्कि कभी-कभी पीड़ित महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण भी।

भारत पल्स न्यूज के विशेष कानून संवाददाता बताते हैं कि भारत में लिव-इन संबंधों की कानूनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। यह क्षेत्र अभी भी सामाजिक मान्यताओं और अदालती विवेक पर निर्भर करता है।

लाइफस्टाइल में बदलाव की कहानी

लाइफस्टाइल में आया यह परिवर्तन केवल पश्चिमी देशों की नकल नहीं है, बल्कि भारतीय समाज के बदलते मूल्य भी इसका हिस्सा हैं। बढ़ती शहरीकरण, शिक्षा, आर्थिक आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भावना ने इस बदलाव को गति दी है।

युवाओं में विवाह से पूर्व एक-दूसरे को समझने की चाह ने लिव-इन रिलेशनशिप को एक व्यावहारिक विकल्प बना दिया है। वे इसे एक “ट्रायल फेज” की तरह देखते हैं, जिससे वे भविष्य की प्रतिबद्धता को लेकर अधिक स्पष्ट हो सकें।

समाज का नजरिया: विरोध और स्वीकृति के बीच

जहां एक ओर महानगरों में यह मॉडल तेजी से स्वीकार किया जा रहा है, वहीं छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में इसे आज भी “अनैतिक” या “संस्कृति विरोधी” माना जाता है। पारिवारिक दबाव, सामाजिक कलंक और कानूनी अनिश्चितता कई बार इन संबंधों को टिकने नहीं देती।

फिर भी, भारत पल्स न्यूज के एक सर्वे के अनुसार, 18 से 30 वर्ष के युवाओं में से लगभग 42% लोग लिव-इन रिलेशन को एक स्वीकार्य व्यवस्था मानते हैं। यह समाज में मौलिक बदलाव की ओर इशारा करता है।

क्या लिव-इन संबंध विवाह का विकल्प बन सकते हैं?

यह सवाल बार-बार उठता है कि क्या रिलेशनशिप अब विवाह की पारंपरिक संस्था को प्रतिस्थापित कर सकते हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों की प्रकृति भिन्न है। विवाह सामाजिक, कानूनी और धार्मिक आधारों पर आधारित संस्था है, जबकि लिव-इन संबंध एक व्यक्तिगत समझौता है।

हालांकि, यह भी सच है कि कई लिव-इन जोड़े वर्षों तक साथ रहते हैं और बाद में या तो विवाह में परिणत हो जाते हैं या शांतिपूर्वक अलग हो जाते हैं। यह एक वैकल्पिक जीवनशैली है, लेकिन यह विवाह का पूरक नहीं।

कानूनी सुझाव और सावधानियां

यदि कोई जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है, तो उन्हें कुछ कानूनी पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • किसी प्रकार का रिलेशनशिप एग्रीमेंट बनाना जो भविष्य में उत्पन्न विवादों से बचा सके।
  • दोनों पक्षों की स्पष्ट सहमति का रिकॉर्ड रखना।
  • पहचान पत्र और पते का साझा सत्यापन रखना, ताकि आवश्यक होने पर संबंध साबित किया जा सके।
  • यदि संबंध दीर्घकालिक हो, तो संपत्ति और उत्तराधिकार की योजना बनाना।

निष्कर्ष: स्वीकृति की ओर बढ़ता समाज

लिव-इन रिलेशनशिप न तो कोई अपराध है और न ही कोई सामाजिक विद्रोह। यह एक वैकल्पिक जीवनशैली है, जो आधुनिक समाज की बदलती सोच को दर्शाती है। आवश्यकता है कि इस विषय को पूर्वाग्रह से नहीं, बल्कि तथ्यों, समझदारी और कानूनी दृष्टिकोण से देखा जाए।

भारत पल्स न्यूज इस विषय पर मानता है कि बदलाव की राह में समाज का लचीला दृष्टिकोण ही आगे का रास्ता तय करेगा। जब तक कानून, समाज और व्यक्तिगत इच्छाएं संतुलन में न हों, तब तक हर वैकल्पिक संबंध अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करता रहेगा।