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1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस, जानें इसकी शुरुआत और इतिहास

डॉक्टर

हर वर्ष 1 जुलाई भारत में एक विशेष गौरव का दिन लेकर आता है। इस दिन को हम राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में मनाते हैं। यह केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उन चिकित्सा योद्धाओं के अथक परिश्रम, उनके करुणामय हृदय और समाज के प्रति उनके दायित्वबोध का सार्वजनिक उत्सव है। आज जब रोगों का संसार विकराल होता जा रहा है, तब डॉक्टर ही वो मजबूत कंधे हैं जिन पर एक स्वस्थ राष्ट्र की कल्पना टिकी रहती है।

1 जुलाई क्यों चुना गया?

बहुत से लोग आज भी इस प्रश्न से अनभिज्ञ हैं कि आखिर 1 जुलाई को ही राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस क्यों मनाया जाता है। इसका गहरा संबंध पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और महान चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय से है।
डॉ. रॉय चिकित्सा क्षेत्र में न केवल अपनी अद्वितीय दक्षता के लिए जाने जाते थे, बल्कि उन्होंने समाज की नब्ज भी बखूबी समझी। वे ऐसे चिकित्सक थे जिन्होंने अपने जीवन का एक-एक क्षण मरीजों और जनसेवा को अर्पित कर दिया।
एक विलक्षण संयोग यह भी है कि उनका जन्म और मृत्यु — दोनों ही 1 जुलाई को हुए। इसी कारण भारत सरकार ने वर्ष 1991 में विशेष रूप से 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में प्रतिष्ठित कर न केवल एक तारीख को महत्व दिया, बल्कि उस भावना को भी सार्वजनिक मान्यता दी जो डॉक्टरों के अथक समर्पण से उपजती है। यह दिन डॉ. बिधान चंद्र रॉय की अमर विरासत का जीवंत स्मारक है। दरअसल यह मात्र श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि समाज में चिकित्सकों की अविचल भूमिका का प्रत्यक्ष उत्सव है। डॉक्टरों के करुणामय हृदय, उनके निपुण हस्त और अनथक परिश्रम को इस दिन एक सामाजिक सम्मान मिलता है। इसी बहाने हम सब यह भी स्मरण करते हैं कि एक सशक्त और निरोग राष्ट्र की कल्पना डॉक्टरों की दक्षता व सेवा भावना के बिना अधूरी ही रह जाएगी।

इतिहास के झरोखों में चिकित्सा की विरासत

भारत में चिकित्सा की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। ऋषि चरक और सुश्रुत जैसे महर्षियों ने चिकित्सा विज्ञान को वह दिशा दी जो आज भी विश्व में अनूठी मानी जाती है। सुश्रुत संहिता में जिस बारीकी से शल्य चिकित्सा का वर्णन मिलता है, वह अद्वितीय है। चरक ने जीवन को समग्रता से देखने की दृष्टि दी — केवल रोग नहीं, बल्कि उसकी जड़ तक पहुंचना ही उनकी चिकित्सा पद्धति की आत्मा थी।

कालांतर में यूनानी और पाश्चात्य चिकित्सा पद्धतियों ने भारत में कदम रखा। अंग्रेजों के शासनकाल में मेडिकल कॉलेज, डिस्पेंसरी और आधुनिक अस्पतालों की अवधारणा ने आकार लिया। इसके बावजूद एक बात कभी नहीं बदली — डॉक्टर हमेशा मरीज की पहली और अंतिम उम्मीद बने रहे।

वर्तमान में डॉक्टर की अहमियत

आज विज्ञान ने चिकित्सा को अपूर्व ऊँचाइयाँ दी हैं। आधुनिक उपकरण, रोबोटिक सर्जरी, नई-नई दवाइयाँ — सबने इलाज को चमत्कारी बना दिया है। मगर एक डॉक्टर का अनुभवी स्पर्श, उसकी संवेदनशीलता और मरीज की नब्ज को पढ़ने की कला को कोई तकनीक प्रतिस्थापित नहीं कर सकती।

कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी ने एक बार फिर डॉक्टरों के महत्व को नए सिरे से स्थापित कर दिया। जब चारों तरफ भय और मृत्यु का साया था, तब वही डॉक्टर अपनी जान हथेली पर रखकर मरीजों को जीवन देने में जुटे रहे। कई डॉक्टरों ने तो सेवा करते हुए प्राण तक न्योछावर कर दिए। ऐसे चिकित्सकों को भारत पल्स न्यूज की ओर से कोटि-कोटि नमन।

राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का गहन महत्व

आज के दौर में जब लोग इंटरनेट से मिली अधूरी जानकारियों के आधार पर स्वयं ही रोगों का निदान करने में लग जाते हैं, तब यह दिन हमें डॉक्टरों की जरूरत और उनकी महत्ता का फिर से बोध कराता है। डॉक्टर केवल शरीर के ही नहीं, मन के भी वैद्य होते हैं। उनकी बात, उनका विश्वास दिलाना ही कई बार दवा से बड़ी औषधि बन जाता है।

भविष्य की चुनौतियां और उम्मीदें

तेजी से बदलती जीवनशैली, बढ़ता प्रदूषण और नित नये रोग डॉक्टरों के समक्ष निरंतर नई चुनौतियां रखते हैं। अब तो मानसिक रोग भी बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। ऐसे में डॉक्टरों को मानसिक स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी मोर्चा संभालना पड़ रहा है।

आने वाला समय और कठिन हो सकता है, मगर जिस समर्पण से डॉक्टरों ने हर युग में चिकित्सा धर्म निभाया है, वही आश्वस्त करता है कि वे आगे भी मानवता की इस लड़ाई में विजयी होंगे।

निष्कर्ष

1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस महज एक तारीख नहीं, बल्कि उन हज़ारों लाखों डॉक्टरों के प्रति कृतज्ञता का उत्सव है जो हमारे जीवन के अनदेखे प्रहरी हैं। वे हमारे लिए निस्वार्थ तपस्वी हैं, जो अपने ज्ञान, अनुभव और संवेदनशीलता से न केवल हमें रोगमुक्त करते हैं बल्कि जीवन में नई ऊर्जा भी भरते हैं।

भारत पल्स न्यूज सभी पाठकों से आह्वान करता है कि इस अवसर पर अपने जीवन में आए हर डॉक्टर को धन्यवाद कहें। क्योंकि एक सच्चा और स्वस्थ राष्ट्र डॉक्टरों की कर्मठता, करुणा और ज्ञान पर ही निर्भर करता है। ऐसी ही स्वास्थय से जुड़ी और खबरों के पहले ही अपडेट पाने के लिए जुड़े रहिए भारत पल्स न्यूज के साथ