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श्रावण मास 2025: आस्था, आदान-प्रदान और आत्मशुद्धि का पर्व

सावन

भारतीय सनातन परंपरा में श्रावण मास का एक विशिष्ट स्थान है। यह मास केवल ऋतु परिवर्तन का द्योतक नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, धार्मिक आस्था और पौराणिक ऊर्जा के मिलन का काल होता है। वर्ष 2025 में जब sawan ka mahina 2025 आरंभ होगा, तो देशभर में श्रद्धा, समर्पण और शिव भक्ति की बयार हर दिशा में बहने लगेगी।

श्रावण मास 2025

श्रावण मास 2025 की तिथि और विशेषता

वर्ष 2025 में श्रावण मास का आरंभ 9 जुलाई से हो रहा है और इसका समापन 7 अगस्त को होगा। इस अवधि में कुल 5 सोमवार आएंगे, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत पावन और पुण्यकारी माने जाते हैं। ये सोमवार केवल व्रत और पूजन की परंपरा नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक अनुशासन का प्रतीक होते हैं।

भक्तगण इस पूरे मास में जलाभिषेक, बेलपत्र अर्पण, महामृत्युंजय जाप और शिव पुराण का पाठ करते हैं। शिवालयों में भक्तों की लंबी कतारें, मंदिरों में घंटे-घड़ियाल की गूंज, और हर-हर महादेव के नारों से वातावरण श्रद्धा से सराबोर हो जाता है।

ऋतु और भावनात्मक संयोजन

सावन के महीने में जब आकाश में घने बादल उमड़ते हैं, और पृथ्वी हरियाली से सज जाती है, तो यह प्राकृतिक सौंदर्य केवल इंद्रियों को ही नहीं, आत्मा को भी स्पर्श करता है। ठंडी फुहारें, मिट्टी की सोंधी महक, और सावन की हरियाली भक्तों को शिव से और अधिक जोड़ देती है। वर्षा की ये बूँदें मानो भक्तों के भीतर की अशुद्धियों को धोकर उसे पवित्र बना देती हैं।

Bharat Puls News की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मानसून के दौरान उत्तर भारत में औसत से अधिक वर्षा की संभावना है, जो कि धार्मिक आयोजनों को एक विशेष आभा देगी। खासतौर पर कांवड़ यात्रा के मार्गों पर हरियाली और वर्षा का संगम श्रद्धालुओं के उत्साह को दोगुना करेगा।

कांवड़ यात्रा: संकल्प और समर्पण की जीवंत मिसाल

sawan ka mahina 2025 में एक बार फिर लाखों की संख्या में शिवभक्त गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार, गंगोत्री, वाराणसी और देवघर जैसे पवित्र स्थलों की ओर रवाना होंगे। ये कांवड़िए सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके जल लाते हैं और अपने स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।

इस धार्मिक यात्रा में भक्ति और अनुशासन का अद्वितीय संयोजन देखने को मिलता है। Bharat Puls News 100% orginl की विशेष ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और दिल्ली के प्रमुख कांवड़ मार्गों पर विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। ड्रोन निगरानी, मेडिकल कैम्प, ट्रैफिक मैनेजमेंट, और महिला सुरक्षा दल की तैनाती सुनिश्चित की गई है।

धार्मिक अनुष्ठान और पूजन परंपराएं

श्रावण मास में शिवभक्त उपवास रखते हैं, विशेषतः सोमवार को। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक किया जाता है। बेलपत्र, धतूरा, आक, भस्म और रुद्राक्ष जैसी पवित्र वस्तुओं से पूजन कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है।

मान्यता है कि इसी मास में समुद्र मंथन के दौरान निकले कालकूट विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। इसलिए यह मास त्याग, तपस्या और सहनशीलता का प्रतीक माना गया है।

लोक संस्कृति और सामाजिक समरसता

sawan ka mahina 2025 केवल मंदिरों तक सीमित नहीं रहेगा, यह गांवों, कस्बों और शहरों में भी लोक परंपराओं की लहर लेकर आएगा। महिलाएं झूले पर झूलेंगी, “कजरी” और “सोहर” जैसे लोकगीतों की स्वर लहरियाँ वातावरण को संगीतमय बना देंगी। मेंहदी, चूड़ियाँ, हरे वस्त्र और हरे रंग की साड़ियों से बाजार सजे रहेंगे।

हर प्रांत में सावन की अपनी परंपरा है। उत्तर भारत में जहां कांवड़ यात्रा केंद्र में रहती है, वहीं दक्षिण भारत में वारा लक्ष्मी व्रतम, नाग पंचमी और अन्य पर्वों की धूम रहती है। यह सांस्कृतिक विविधता भारत की अध्यात्मिक समृद्धि का परिचायक है।

बाज़ार और उत्सव की रौनक

श्रावण मास के दौरान पूजा सामग्री, बेलपत्र, फूल-मालाएं, रुद्राक्ष, भगवान शिव की मूर्तियाँ और धार्मिक वस्त्रों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। मिठाइयों में घेवर, मालपुए और खीर जैसी पारंपरिक मिठाइयों की मांग भी चरम पर रहती है। व्यापारी और दुकानदार इस महीने को अत्यंत शुभ मानते हैं।

Bharat Puls News की बाजार रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष सावन के दौरान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पूजा सामग्री की बिक्री में उल्लेखनीय उछाल आने की संभावना है।


निष्कर्ष

sawan ka mahina 2025 केवल पंचांग में अंकित तिथियों का समूह नहीं, बल्कि आत्मा के पुनर्जागरण, लोकजीवन की जीवंतता और परमात्मा से संवाद का माध्यम है। यह मास हमें सिखाता है कि जब जीवन में आस्था का जल और समर्पण का पात्र हो, तो कोई भी संकट अमृत में बदल सकता है। शिव की भक्ति, प्रकृति का सौंदर्य और सामाजिक समरसता— तीनों का ऐसा त्रिवेणी संगम कहीं और दुर्लभ है। इसी तरह की आस्था से जुड़ी खबरों के लिए जुड़े रहिए भारत पल्स न्यूज के साथ