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जानें इस बार 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा क्यों है बेहद खास — भारत पल्स न्यूज की ग्राउंड रिपोर्ट

गुरु-पूर्णिमा

भारत पल्स न्यूज, वाराणसी।
भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान सर्वोच्च बताया गया है।
वेदों से लेकर उपनिषदों तक, महाकाव्यों से लेकर संतों की वाणी तक — हर जगह गुरु को भगवान के समान ही आदर दिया गया है।
और इसी अनुपम रिश्ते को समर्पित है गुरु पूर्णिमा, जो इस बार 10 जुलाई को आने वाली है।

यह तिथि सिर्फ पंचांग की गिनती नहीं, बल्कि संस्कृति के उस धरोहर का उत्सव है, जिसने भारत को भारत बनाया।
इस बार की गुरु पूर्णिमा को लेकर पूरे देश में एक अलग ही उत्साह दिखाई दे रहा है।

क्यों विशेष है इस बार की गुरु पूर्णिमा

भारत पल्स न्यूज के रिपोर्टर ने ज्योतिषाचार्यों और धर्मगुरुओं से बातचीत की।
उनके मुताबिक इस बार 10 जुलाई को चंद्रमा और गुरु (बृहस्पति ग्रह) की युति ऐसी बन रही है, जो वर्षों बाद आ रही है।
कहते हैं जब चंद्रमा गुरु के प्रभाव में आता है, तो मन की उलझनें और भावनात्मक क्लेश काफी हद तक शांत हो जाते हैं।
इसीलिए इस बार की गुरु पूर्णिमा पर साधना, ध्यान और मंत्र जाप का फल सामान्य दिनों से कई गुना अधिक बताया जा रहा है।

व्यास पूर्णिमा भी है यह दिन

कम ही लोग जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।
इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
उन्होंने वेदों का विभाजन कर मनुष्यों के लिए उन्हें सरल बनाया, महाभारत जैसे महाग्रंथ की रचना की, और पुराणों की भी रचना की।
उनकी विद्वत्ता और तपस्या को सम्मान देने के लिए ही यह दिन ‘व्यास पूजन’ के रूप में भी मनाया जाता है।

बुद्ध और जैन परंपरा में भी खास

गुरु पूर्णिमा

भारत पल्स न्यूज के संवाददाता बताते हैं कि यह दिन सिर्फ वैदिक परंपरा तक सीमित नहीं है।
बौद्ध अनुयायी मानते हैं कि भगवान बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को इसी दिन सारनाथ में पहला उपदेश दिया था।
इसे धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस भी कहा जाता है।
जैन मत में भी यह तिथि महत्त्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन महावीर स्वामी के प्रथम गणधर बने थे।

गांव-गांव में गुरु पूजा की तैयारी

यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक तक, गांवों में अखाड़ों, आश्रमों और पाठशालाओं में गुरु पूजन की जोरदार तैयारियां हो रही हैं।
कहीं विशेष यज्ञ रखे जा रहे हैं, तो कहीं भजन मंडलियां गुरु महिमा का गुणगान कर रही हैं।
कई स्थानों पर ‘गुरु दीक्षा समारोह’ होंगे, जहां नए शिष्यों को मंत्रोपदेश मिलेगा।

इस बार कैसा रहेगा ज्योतिषीय प्रभाव

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि 10 जुलाई को पूर्णिमा पर चंद्रमा गुरु की दृष्टि में रहेगा, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करना सहज होगा।
अगर कोई साधक इस दिन गुरु मंत्र का जप करे या गुरु चरणों में बैठकर ध्यान करे, तो उसके जीवन में कई वर्षों तक चल रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।
इसलिए इस दिन खास तौर पर अपने गुरुजनों से आशीर्वाद लेना और उनका मार्गदर्शन प्राप्त करना अत्यंत शुभ माना गया है।

भारत पल्स न्यूज की राय

भारत पल्स न्यूज मानता है कि यह पर्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहना चाहिए।
गुरु वही होते हैं जो हमें अच्छे-बुरे का ज्ञान कराएं, हमारे चरित्र को मजबूत बनाएं और कठिन रास्तों पर चलने की हिम्मत दें।
तो इस गुरु पूर्णिमा पर, चाहे आपके गुरु आपके माता-पिता हों, कोई आध्यात्मिक आचार्य हों, या आपके जीवन के शिक्षक — उन्हें ससम्मान प्रणाम करें।
उनकी सीखों को अपने जीवन में उतारें।

निष्कर्ष

भारत की आत्मा उसकी परंपराओं में बसी है, और उन परंपराओं में सबसे सुंदर है गुरु-शिष्य का रिश्ता।
10 जुलाई को आने वाली गुरु पूर्णिमा हमें इस रिश्ते की महत्ता याद दिलाने आती है।
इस दिन मन, वचन और कर्म से अपने गुरु को नमन करें और जीवन में नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें।
भारत पल्स न्यूज आपके जीवन में गुरु कृपा की वर्षा की कामना करता है।