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अब अश्लीलता नहीं होगी बर्दाश्त: सरकार ने 24 एडल्ट ऐप पर लगाई रोक, सवाल उठे इंटरनेट की आज़ादी और निगरानी पर

एप्स

सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 24 ऐसे मोबाइल ऐप्स पर रोक लगा दी है, जिन पर अश्लीलता फैलाने और भारतीय साइबर क़ानूनों का उल्लंघन करने का आरोप है। इस कदम को ‘डिजिटल सफाई’ की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही इस पर बहस भी शुरू हो गई है कि आखिर इस तरह के कंटेंट को कौन तय करेगा — और कहां रेखा खींची जाएगी?

क्या हुआ है?

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत इन 24 ऐप्स को बैन करने का आदेश दिया है। मंत्रालय का दावा है कि ये ऐप्स “अश्लील, अनैतिक और भारत के सामाजिक तानेबाने के खिलाफ सामग्री” प्रसारित कर रहे थे।

ऐप्स को न केवल Google Play Store और Apple App Store से हटाने के निर्देश दिए गए हैं, बल्कि जिन सर्वरों पर ये ऐप्स होस्ट हो रहे थे, उन्हें भी ब्लॉक किया गया है।

किन ऐप्स पर गिरी गाज़?

भारत सरकार की ओर से जिन 24 ऐप्स को बैन किया गया है, उनमें निम्नलिखित नाम शामिल हैं:

  1. Chiko TV
  2. HDHot
  3. Roposo Live
  4. Foxx
  5. HotHit
  6. Feneo
  7. Nuefliks
  8. Uncut Adda
  9. HotShots
  10. PrimePlay
  11. Hunters
  12. Besharams
  13. Rabbit
  14. Ullu
  15. Kooku
  16. Woow
  17. Yessma
  18. XPrime
  19. Local Primes
  20. Dreams Films
  21. Balloons
  22. NeonX
  23. Net Prime
  24. MoodX

इनमें से कुछ ऐप्स भारत में ही बनाए गए थे और हिंदी, बंगाली, मराठी जैसी भारतीय भाषाओं में कंटेंट परोसते थे — ज़्यादातर ‘वेब सीरीज’ के नाम पर साफ़ अश्लीलता परोसते थे।

 ऐप्स

सरकार की दलील

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इन ऐप्स के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं — खासकर माता-पिता और साइबर विशेषज्ञों की ओर से।

सरकारी बयान के मुताबिक, “इन ऐप्स का कंटेंट अश्लीलता की श्रेणी में आता है और इससे युवाओं पर नकारात्मक असर पड़ रहा था। यह भारतीय समाज के मूल्यों के विरुद्ध है।”

इसके अलावा, कुछ ऐप्स पर बच्चों की सुरक्षा से जुड़े नियमों के उल्लंघन के भी आरोप थे।

जनता की प्रतिक्रिया

इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया है।

कुछ लोग कह रहे हैं कि यह ‘अच्छा कदम’ है, जो डिजिटल स्पेस को साफ करेगा और युवाओं को गलत कंटेंट से बचाएगा।

“बिलकुल सही किया सरकार ने। OTT प्लेटफॉर्म्स की आड़ में कुछ भी परोसा जा रहा था, जो समाज के लिए ज़हर बन रहा है,” – रवीना शर्मा, दिल्ली निवासी।

वहीं कुछ का मानना है कि सरकार ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ में हस्तक्षेप कर रही है।

“हर बार बैन करना ही हल नहीं है। आज ये ऐप्स हैं, कल कोई किताब या वेबसाइट हो सकती है। यह slippery slope है,” – विनीत राज, डिजिटल नीति शोधकर्ता।

सामाजिक नजरिया: मुद्दा सिर्फ एडल्ट नहीं, कंटेंट की परिभाषा है

बात सिर्फ एडल्ट कंटेंट की नहीं है — सवाल यह है कि अश्लीलता की परिभाषा कौन तय करेगा? क्या जो वयस्कों के लिए बनाया गया हो, वह समाज के लिए खतरा है? और फिर, क्या वही मापदंड सभी पर समान रूप से लागू होंगे?

भारत जैसे विविधता वाले देश में किसी चीज़ को ‘अनैतिक’ घोषित करना अपने-आप में विवाद को न्योता देता है। धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में जो एक समुदाय को आपत्तिजनक लगता है, वह दूसरे के लिए सामान्य हो सकता है।

इंटरनेट की निगरानी पर भी सवाल

एक और अहम मुद्दा है इंटरनेट की सेंसरशिप। IT एक्ट की धारा 69A को पहले भी इस्तेमाल किया गया है — खासकर ट्विटर अकाउंट्स, वेबसाइट्स या चीनी ऐप्स को बैन करने में। लेकिन इसमें पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

इन 24 ऐप्स को बैन करने के आदेश में न तो कोई सुनवाई की व्यवस्था थी, न ही यह बताया गया कि इन्हें दोबारा बहाल होने का क्या रास्ता है।

आगे क्या?

सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि अब OTT प्लेटफॉर्म्स और वेब-सीरीज ऐप्स पर निगरानी और सख्त की जाएगी। हो सकता है कि निकट भविष्य में एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाया जाए, जहां हर डिजिटल कंटेंट को वर्गीकृत किया जाए — उम्र, भाषा, विषयवस्तु के हिसाब से।

इसके अलावा यह भी तय किया जा सकता है कि जिन प्लेटफॉर्म्स पर एडल्ट कंटेंट होगा, वहां age-verification अनिवार्य हो।

निष्कर्ष

ये फैसला डिजिटल भारत में ‘नैतिक सफाई’ की एक कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। सरकार का मकसद अगर सही दिशा में है तो उसे निष्पक्ष, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम तरीके से लागू करना ज़रूरी है।

लेकिन साथ ही, इस फैसले से यह साफ़ हो गया है कि सरकार अब डिजिटल स्पेस को ‘खुले मैदान’ की तरह नहीं छोड़ना चाहती — और वो रेखा खींचने को तैयार है, चाहे बहस हो या विरोध।

भारत पल्स न्यूज पूछता है कि क्या ये रेखा सबके लिए एक जैसी होगी, और क्या इसे समाज भी अपनाएगा?