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79 वां स्वतंत्रता दिवस: जज़्बे, जिम्मेदारी और नए भारत का संकल्प

15 अगस्त

नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025 — सुबह की पहली किरण के साथ ही राजधानी में तिरंगे की फहराती छटा ने माहौल को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। यह केवल एक तारीख नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों में धड़कता गर्व है। आज भारत अपने 79 वां स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मना रहा है, जिसे इस बार ‘आत्मनिर्भर भारत, सुरक्षित भारत’ की थीम के साथ जोड़ा गया है।

लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का संबोधन, गगनचुंबी इमारतों पर तिरंगे की रोशनी, और गांव-गांव में ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच गाए जा रहे देशभक्ति गीत—ये सब इस बात के गवाह हैं कि आजादी का महोत्सव केवल परंपरा नहीं, बल्कि पीढ़ियों को जोड़ने वाला एक जज़्बा है।

राजधानी में भव्य आयोजन

सुबह 7 बजे लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराया गया। सैन्य टुकड़ियों की सटीक कदमताल, स्वदेशी हथियारों का प्रदर्शन, और महिला अधिकारियों की अगुवाई में हुई परेड ने लोगों को गर्व से भर दिया। आसमान में भारतीय वायुसेना के विमानों का फ्लाई-पास्ट और ड्रोन शो ने इस ऐतिहासिक स्थल को और भी जीवंत बना दिया।

भारत पल्स न्यूज के संवाददाता के अनुसार, इस बार समारोह में पर्यावरण और तकनीक का अनूठा संगम दिखा। मंच सजावट में पुनर्चक्रित सामग्री का इस्तेमाल हुआ और पूरे आयोजन में प्लास्टिक का प्रयोग न के बराबर रहा।

गांवों का जोश

शहरों के साथ-साथ गांवों में भी इस पर्व का उत्साह चरम पर रहा। हरियाणा के रोहतक में किसानों ने खेतों में तिरंगा फहराया, बिहार के मधुबनी में बच्चों ने देशभक्ति पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया, और मणिपुर में महिलाओं ने पारंपरिक नृत्यों से जश्न मनाया।

राजस्थान के जैसलमेर में ऊंटों पर निकाली गई तिरंगा यात्रा और उत्तराखंड के टिहरी में 15 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर लोगों ने 79 वां स्वतंत्रता दिवस को यादगार बना दिया।

सीमा पर अडिग प्रहरी

लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में तैनात सैनिकों ने भी उत्सव पूरे जोश से मनाया। बर्फीली चोटियों पर तिरंगा लहराना उनके लिए केवल गर्व का क्षण नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। उन्होंने अपने संदेशों में कहा कि मौसम चाहे जैसा हो, उनका संकल्प अटल है—सीमा की सुरक्षा सर्वोपरि है।

2025 का हरित संदेश

इस साल 79 वां स्वतंत्रता दिवस को पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ने पर जोर रहा। दिल्ली में 79 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया, मुंबई में समुद्र तटों की सफाई की गई, और कई शहरों में ‘एक पौधा, एक संकल्प’ अभियान चला।

भारत पल्स न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में कपड़े और कागज के झंडों का इस्तेमाल बढ़ा, जिससे प्लास्टिक कचरे में उल्लेखनीय कमी आई।

सांस्कृतिक मेल-मिलाप

आजादी का महोत्सव के तहत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत की विविधता खुलकर सामने आई। पंजाब का भांगड़ा, असम का बिहू, तमिलनाडु का भरतनाट्यम और हिमाचल का नाटी नृत्य—हर प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

दिल्ली के इंडिया गेट पर आयोजित ‘भारत संस्कृति महोत्सव’ में 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कलाकारों ने हिस्सा लिया। यहां मंचन में स्वतंत्रता संग्राम के प्रसंगों को आधुनिक तकनीक के साथ प्रस्तुत किया गया, जिससे युवाओं में इतिहास के प्रति नई रुचि जगी।

तकनीक और विकास का प्रदर्शन

विज्ञान भवन में लगे प्रदर्शनी हॉल में इस बार कृषि, रक्षा और विज्ञान की नई उपलब्धियां दिखाईं गईं। सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहन, ड्रोन खेती तकनीक, और जल संरक्षण के आधुनिक उपकरण यहां आकर्षण का केंद्र रहे।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अधिकारियों ने बताया कि 2025 में कई स्वदेशी हथियार प्रणालियों का सफल परीक्षण हुआ है, जो भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत बनाएगा।

जनभागीदारी का रंग

शाम ढलते ही देशभर में रोशनी और आतिशबाज़ी का मेला सज गया। मुंबई के मरीन ड्राइव, वाराणसी के घाट, जयपुर के हवामहल, और इम्फाल के बाजार—हर जगह तिरंगा लहराता रहा।

चंडीगढ़ में हजारों लोगों ने मिलकर मानव तिरंगा बनाया, जबकि वाराणसी में दीयों से तिरंगा सजाकर गंगा आरती की गई।

भविष्य की दिशा

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि “स्वतंत्रता का मतलब केवल अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य भी है। हमें एकजुट होकर आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना होगा।”

भारत पल्स न्यूज के संपादकीय विश्लेषण में स्पष्ट है कि शिक्षा, तकनीक और सतत विकास में निवेश ही भारत को आने वाले वर्षों में वैश्विक नेतृत्व की स्थिति तक पहुंचा सकता है।

निष्कर्ष

79 वां स्वतंत्रता दिवस बीते कल के संघर्षों और आने वाले कल की जिम्मेदारियों का संगम है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि आज़ादी की रक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी उसकी प्राप्ति।

इस साल का आजादी का महोत्सव एकता, आत्मनिर्भरता और प्रगति का संदेश लेकर आया है। जब तक यह भावना जीवित है, भारत का तिरंगा आसमान में ऊंचा लहराता रहेगा, और हर भारतीय गर्व से कहेगा—हम एक स्वतंत्र, सशक्त और प्रगतिशील राष्ट्र के नागरिक हैं।