
नई दिल्ली । जैसा कि आप जानते हैं, आज का भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है — एक ऐसा युग जहां राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सरहदों तक सीमित नहीं रही। अब भारत की सुरक्षा नीति में वो सब कुछ शामिल है, जो देश को अंदर और बाहर से मज़बूत करता है: साइबर सुरक्षा, आर्थिक मजबूती, तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक कूटनीतिक स्थिति।
टीम भारत पल्स न्यूज़ को मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछले एक वर्ष में सुरक्षा के क्षेत्र में कई ऐसे निर्णय लिए हैं जो आने वाले दशक की नींव रख सकते हैं। ये निर्णय न केवल सीमा पर सेना की तैनाती से जुड़े हैं, बल्कि इंटरनेट से लेकर आकाश तक फैले खतरों के लिए भी उत्तरदायी हैं।

सूत्रों के अनुसार, नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में पांच प्रमुख स्तंभ तय किए गए हैं:
- साइबर स्पेस की रक्षा:
सरकार ने स्पष्ट किया है कि आने वाले वर्षों में युद्ध का एक बड़ा मैदान इंटरनेट होगा। इसलिए ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2024’ को एक्टिव किया गया है। अब सभी सरकारी मंत्रालय, बैंकिंग नेटवर्क और संवेदनशील डेटा सिस्टम्स को AI-सक्षम सुरक्षा कवच दिए जा रहे हैं। - सीमा पर टेक्नोलॉजी की दीवार:
भारत अब लद्दाख और अरुणाचल जैसी संवेदनशील सीमाओं पर केवल सेना नहीं, बल्कि ड्रोन निगरानी, सेटेलाइट डेटा और सेंसर-आधारित चौकसी को भी तैनात कर रहा है। इससे सीमाओं पर होने वाली हर गतिविधि पर सेकेंड दर सेकेंड नज़र रखी जा सकेगी। - आंतरिक सुरक्षा में तेज़ी:
‘वन इंडिया, वन रेस्पॉन्स’ के तहत CRPF, BSF और ITBP जैसे बलों के बीच तालमेल बढ़ाया गया है। अब एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए पूरे देश में किसी भी आपात स्थिति पर रियल टाइम प्रतिक्रिया दी जा सकती है। - कूटनीति में रणनीतिक संतुलन:
भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ-साथ अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ भी सुरक्षा सहयोग मज़बूत किया है। QUAD और BIMSTEC जैसे मंचों पर भारत की सक्रियता को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। - सामाजिक जागरूकता:
टीम भारत पल्स न्यूज़ के मुताबिक, सरकार अब आम नागरिकों को भी सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा बना रही है। स्कूलों में साइबर अवेयरनेस, नकली खबरों की पहचान, और डिजिटल सतर्कता पर सेशन शुरू किए जा चुके हैं।
क्यों जरूरी थी यह नई सुरक्षा नीति?
हमें यह समझना होगा कि जब दुनिया 5G और AI की तरफ़ बढ़ रही है, तब खतरों का स्वरूप भी बदल रहा है। आज की चुनौती मिसाइल नहीं, बल्कि डेटा लीक, फेक न्यूज और वित्तीय घोटालों से जुड़ी है। भारत को अब एक ऐसे सुरक्षा कवच की ज़रूरत है, जो हर दिशा से रक्षा करे — और यही सोच इस नीति के पीछे है।
एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ ने भारत पल्स न्यूज़ से कहा, “हम अब 1999 के कारगिल मॉडल से आगे निकल चुके हैं। आज हमारी चुनौतियाँ डिजिटल से लेकर डीप-सी तक फैली हैं। इसीलिएसुरक्षा नीति अब 360 डिग्री रणनीति पर आधारित होनी चाहिए।”
जनता की भूमिका भी अहम
राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में अब आम नागरिक की भूमिका भी उतनी ही जरूरी हो गई है। अगर आप साइबर धोखाधड़ी से बचते हैं, फर्जी खबरों को फैलने नहीं देते, और डिजिटल सतर्कता बरतते हैं, तो आप भी इस सुरक्षा अभियान के सिपाही हैं। भारत पल्स न्यूज़ लगातार अपने पाठकों को ऐसे मामलों पर सचेत करता आ रहा है।
आगे की राह
सूत्रों के अनुसार, आने वाले महीनों में सरकार कुछ और बड़े ऐलान कर सकती है — जिनमें ‘राष्ट्रीय डेटा ग्रिड’, ‘AI आधारित रक्षा निगरानी नेटवर्क’ और ‘राष्ट्रीय सूचना युद्ध प्रशिक्षण केंद्र’ शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्षतः, यह कहा जा सकता है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक सुरक्षा सोच की ओर बढ़ रहा है। यह नयी नीति देश को केवल दुश्मनों से नहीं, बल्कि अदृश्य खतरों से भी सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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