गर्मी में दिल के मरीज रहें बेहद सतर्क, जानिए क्यों खतरा बढ़ गया है | Bharat Puls News
देश के विभिन्न हिस्सों में तापमान लगातार 45 डिग्री के आसपास पहुंच रहा है। यह मौसम सिर्फ आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि विशेष रूप से दिल के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो गर्मियों में हृदय संबंधी समस्याएं कई गुना बढ़ जाती हैं और इसका सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ता है जो पहले से ही हृदय रोग, हाई बीपी, डायबिटीज या मोटापे से जूझ रहे हैं।
भारत पल्स न्यूज़ की पड़ताल में यह सामने आया है कि हर साल मई और जून के महीनों में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेज़ वृद्धि दर्ज की जाती है। आमतौर पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं और गर्मी को केवल थकावट या लू का असर मानते हैं, लेकिन हकीकत इससे कहीं गंभीर है।
बढ़ता तापमान और दिल पर प्रभाव
जब गर्मी ज्यादा होती है, तब शरीर को ठंडा रखने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, जिससे रक्तचाप कम होता है और दिल को शरीर में रक्त पहुंचाने के लिए ज्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब व्यक्ति पहले से हृदय संबंधी किसी समस्या से पीड़ित हो।
गर्मी के कारण शरीर में पानी और लवण की कमी हो जाती है, जिससे खून गाढ़ा हो सकता है। इससे रक्त में थक्का जमने का खतरा बढ़ता है और हार्ट अटैक की आशंका अधिक हो जाती है।
विशेषज्ञों की राय
दिल्ली के एक वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट ने भारत पल्स न्यूज़ को बताया कि हर साल गर्मियों में उनके पास हार्ट के इमरजेंसी मामलों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। उन्होंने कहा, “ज्यादातर लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते क्योंकि उन्हें लगता है कि यह सिर्फ गर्मी या कमजोरी है। लेकिन यह सोच जानलेवा हो सकती है।”
डॉक्टरों के अनुसार, गर्मी के दिनों में शरीर की मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया तेज होती है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है। यदि ब्लड प्रेशर और शुगर का नियंत्रण न हो, तो यह स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।
खतरे के संकेत
गर्मी में हृदय रोग से जुड़े कुछ संकेत ऐसे होते हैं जिन्हें लोग अक्सर मामूली समझ कर टाल देते हैं। इन लक्षणों को गंभीरता से लेना आवश्यक है:
- सीने में दर्द या दबाव
- सांस लेने में तकलीफ
- अचानक चक्कर आना या बेहोशी
- पसीना अधिक आना, खासकर ठंडा पसीना
- हृदय की धड़कनों का असामान्य हो जाना
- कमजोरी या अत्यधिक थकावट
यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो तुरंत ECG करवाएं और डॉक्टर से संपर्क करें।
किन लोगों को अधिक खतरा
हर कोई गर्मी से प्रभावित हो सकता है, लेकिन कुछ समूह अधिक जोखिम में होते हैं:
- 50 वर्ष से ऊपर की आयु के लोग
- जिनका ब्लड प्रेशर, शुगर या कोलेस्ट्रॉल अनियंत्रित है
- जिनका पहले हार्ट अटैक हो चुका है
- मोटापे से ग्रस्त लोग
- जो अत्यधिक तनाव में रहते हैं
- जो गर्मी में ज़्यादा समय बाहर बिताते हैं
कैसे करें बचाव
भारत पल्स न्यूज़ की टीम ने विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर कुछ सुझाव तैयार किए हैं जिन्हें अपनाकर गर्मी में हृदय रोगियों को सुरक्षित रखा जा सकता है:
- दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक घर से बाहर न निकलें
- दिनभर में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पिएं
- नमक और चीनी की मात्रा नियंत्रित रखें
- हल्का, सुपाच्य और पौष्टिक भोजन करें
- नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच कराते रहें
- सुबह या शाम के समय ही हल्की एक्सरसाइज करें
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं नियमित रूप से लें
- एसी से निकलने के तुरंत बाद गर्म वातावरण में न जाएं
- शराब, धूम्रपान और कैफीन युक्त चीज़ों से दूर रहें
एक केस से समझें
राजस्थान के भरतपुर निवासी 60 वर्षीय घनश्याम शर्मा प्रतिदिन सुबह सैर पर जाते थे। मई के एक दिन वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। परिवार वालों ने तुरंत अस्पताल पहुंचाया जहां पता चला कि उन्हें हल्का हार्ट अटैक आया था। डॉक्टरों ने कहा कि अधिक तापमान और डिहाइड्रेशन के कारण उनका ब्लड प्रेशर अचानक गिर गया था। समय रहते इलाज मिलने से उनकी जान बच सकी।
यह उदाहरण बताता है कि गर्मी में शरीर की प्रतिक्रिया बहुत तेज़ और अनियंत्रित हो सकती है। खासकर दिल के मरीजों को कोई भी असामान्यता नजर आते ही सतर्क हो जाना चाहिए।
निष्कर्ष
गर्मी का सीधा असर दिल की सेहत पर पड़ता है, और यह प्रभाव धीरे-धीरे जानलेवा साबित हो सकता है। हर व्यक्ति को, विशेष रूप से हृदय रोगियों को गर्मी में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। लापरवाही और जानकारी का अभाव ही सबसे बड़ी समस्या है।
भारत पल्स न्यूज़ की यही सलाह है कि जैसे ही गर्मी शुरू हो, दिल की देखभाल दोगुनी कर दें। छोटा सा लक्षण भी बड़ा संकेत हो सकता है।
गर्मी को हल्के में लेना खुद के साथ अन्याय है। अपने दिल की आवाज़ सुनें, डॉक्टर की सलाह मानें और सुरक्षित रहें।