भारत का पासपोर्ट अब पहले से कहीं ज़्यादा ताक़तवर हो गया है। वैश्विक स्तर पर भारतीय नागरिकों की आवाजाही में जो सीमाएं कभी वीज़ा प्रक्रिया के नाम पर खड़ी थीं, वे अब धीरे-धीरे ध्वस्त हो रही हैं। इस बदलाव से भारतीय ट्रैवलर्स, स्टूडेंट्स, व्यापारी, और प्रोफेशनल्स को नई राहत मिली है।
हिंदुस्तानी पासपोर्ट की ताक़त में इज़ाफ़ा
हालिया अपडेट के अनुसार, भारत का पासपोर्ट अब दुनिया में 80वें पायदान पर पहुंच गया है — जोकि एक स्थिर लेकिन महत्वपूर्ण छलांग है। इसका मतलब ये है कि अब 57 देशों में भारतीय नागरिक वीज़ा फ्री, वीज़ा ऑन अराइवल या ई-वीज़ा सुविधा के तहत प्रवेश कर सकते हैं। यह आंकड़ा कुछ साल पहले के 50 से नीचे था।
किन देशों में मिली राहत?
नागरिकों को सबसे अधिक लाभ दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में मिल रहा है। कुछ प्रमुख देश जहां भारतीय पासपोर्ट धारकों को वीज़ा फ्री या ऑन अराइवल एंट्री मिल रही है:
- एशिया: इंडोनेशिया, थाईलैंड, मालदीव, नेपाल, भूटान, श्रीलंका (ई-वीज़ा), लाओस
- अफ्रीका: केन्या, रवांडा, सेनेगल, सेशेल्स, टोगो
- दक्षिण अमेरिका: इक्वाडोर, बोलिविया, सूरीनाम, गुयाना
- मध्य अमेरिका व कैरेबियन: डोमिनिका, हैती, जमैका, त्रिनिदाद और टोबैगो
- ओशिनिया: फिजी, माइक्रोनेशिया, समोआ
यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अभी वीज़ा नीति उतनी लचीली नहीं हुई है, लेकिन भारत की वैश्विक कूटनीति और बढ़ती साख को देखते हुए भविष्य में वहां भी रियायत की उम्मीद की जा सकती है।
सरकार की कूटनीतिक पहल
ये बदलाव अचानक नहीं आया। बीते कुछ सालों में भारत ने कई देशों से चुपचाप लेकिन अहम कूटनीतिक तालमेल बनाए हैं। इन प्रयासों की अगुवाई केंद्र सरकार के उच्च स्तर पर हुई, जहां विदेश नीति को ज़मीनी नतीजों से जोड़ा गया। ‘पासपोर्ट ताक़त बढ़ाओ’ नीति के तहत विशेष रणनीति अपनाई गई है। भारत ने कई द्विपक्षीय यात्राओं और सम्मेलन में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया।
वहीं, पासपोर्ट की ताक़त को बढ़ाने के लिए सॉफ्ट पावर को भी हथियार बनाया गया है — योग, आयुर्वेद, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप मिशन, और संस्कृति के ज़रिये भारत ने एक विश्वसनीय नागरिक ब्रांडिंग का निर्माण किया है।
आम भारतीयों की प्रतिक्रिया
दिल्ली में ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले रमेश तिवारी बताते हैं, “पहले बहुत से ग्राहक वीज़ा अड़चनों से परेशान रहते थे। अब लोग खुद पूछते हैं – कौन से देश वीज़ा फ्री हैं? और इस बार सिर्फ अमीर तबका नहीं, बल्कि मध्यम वर्ग भी खुलकर विदेश यात्रा की योजना बना रहा है।”
लखनऊ की IT प्रोफेशनल सोनल वर्मा कहती हैं, “मेरे लिए इंडोनेशिया या थाईलैंड जाना अब उतना ही आसान है जितना गोवा जाना। टिकट बुक करो और निकल जाओ।”
धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी वजह
भारतीयों की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत भी इस बदले हुए रुख में एक भूमिका निभा रही है। मसलन, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों में भारतीयों के लिए वीज़ा नियमों में नरमी देखी गई है क्योंकि वहां हिन्दू-बौद्ध विरासत साझा है। इससे भारत और इन देशों के धार्मिक पर्यटकों के बीच संबंध और भी प्रगाढ़ हुए हैं।
नेपाल और भूटान के साथ भारत का विशेष धार्मिक व सामाजिक रिश्ता है — जहां भारतीयों को बिना पासपोर्ट के भी एंट्री की छूट है।
प्रशासनिक तैयारी: पासपोर्ट सेवा भी तेज़
पासपोर्ट सशक्तिकरण सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि देश के भीतर भी देखा जा रहा है। अब ग्रामीण क्षेत्रों तक पासपोर्ट सेवा केंद्र खोले जा चुके हैं, जिससे आम नागरिक को विदेश यात्रा की प्रक्रिया आसान लगने लगी है। डिजिटलीकरण के चलते आवेदन, रिन्यूअल और ट्रैकिंग सब कुछ पारदर्शी हो गया है।
पर्यटन, व्यापार और शिक्षा क्षेत्र को मिलेगा सीधा लाभ
- पर्यटन – अधिक लोग विदेश यात्रा की योजना बनाएंगे, जिससे भारतीय टूर ऑपरेटर्स का बिजनेस बढ़ेगा।
- व्यापार – छोटे व्यापारियों को सीमाओं के पार नए बाजार तलाशने में आसानी होगी।
- शिक्षा – कई देशों में पढ़ाई के लिए अप्लाई करना पहले वीज़ा की वजह से मुश्किल होता था, अब प्रक्रिया सरल होगी।
सावधानी जरूरी है
हालांकि वीज़ा फ्री एंट्री का मतलब यह नहीं कि हर व्यक्ति को बिना जांच के एंट्री मिल जाती है। एयरपोर्ट पर ‘इमिग्रेशन इंटरव्यू’ आज भी होता है, जिसमें यात्रा का उद्देश्य, ठहरने का स्थान, टिकट रिटर्न बुकिंग आदि की पुष्टि की जाती है। किसी भी ग़लत दस्तावेज या जवाब के आधार पर एंट्री रोकी भी जा सकती है।
फिलहाल की स्थिति: अभी भी लंबा रास्ता
अब भी भारत का पासपोर्ट जापान, सिंगापुर, या यूरोपियन यूनियन के देशों की तुलना में काफ़ी पीछे है। उदाहरण के तौर पर जापानी पासपोर्ट पर 190+ देश वीज़ा फ्री उपलब्ध हैं, जबकि भारत अभी 57 पर है। लेकिन जिस गति से भारत की छवि, कूटनीति और वैश्विक भागीदारी बढ़ रही है, आने वाले वर्षों में यह फासला भी कम हो सकता है।
निष्कर्ष: ये सिर्फ पासपोर्ट नहीं, भारत की छवि है
अब भारतीय पासपोर्ट सिर्फ यात्रा का दस्तावेज़ नहीं रहा, यह एक प्रतीक है — बदलते भारत का, आत्मनिर्भर भारत का, और उस नागरिक की पहचान का, जो अब बिना डर, बिना रुकावट, दुनिया से आंख मिलाकर चलने के लिए तैयार है। ऐसी ही और खबरों के लिए जुड़े रहिए भारत पल्स न्यूज के साथ
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