
सावन का महीना अपने अंतिम चरण में है, और इसी के साथ आने वाली है वह तारीख जिसका इंतज़ार लाखों शिव भक्तों को पूरे वर्ष रहता है — सावन की अंतिम शिवरात्रि। इस बार यह पर्व 23 जुलाई को पड़ रहा है और प्रशासन के लिए यह एक सीधी चुनौती बन गया है।
हरिद्वार में बीते चार दिनों से ही कांवड़ यात्रियों की भारी भीड़ जमा होने लगी है। मुख्य सड़कों से लेकर घाटों तक, और मंदिरों से लेकर आश्रमों तक — हर जगह शिव भक्ति की गूंज है। मगर इसके साथ ही जो दिख रहा है, वह है प्रशासन की चाक-चौबंद तैयारी और सख़्त रुख़।
डीजे पर इस बार सख़्त प्रतिबंध
इस बार एक बड़ा फ़ैसला लिया गया है — हर तरह के डीजे सिस्टम पर पूर्ण प्रतिबंध।
हरिद्वार ज़िला प्रशासन ने साफ़ निर्देश दिए हैं कि न कांवड़ में डीजे बजेगा, न जुलूसों में, न किसी आयोजन में।
एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने साफ़ कहा,
“कांवड़ यात्रा एक धार्मिक यात्रा है, न कि मनोरंजन का मंच। कई बार तेज़ आवाज़ में अश्लील गाने और हुड़दंग श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाते हैं। इस बार हमने तय किया है कि ऐसी किसी गतिविधि को अनुमति नहीं दी जाएगी।”
ADM (प्रशासन) ने बताया कि कुल 36 डीजे संचालकों को नोटिस भेजे जा चुके हैं और 17 के लाइसेंस पहले ही रद्द किए जा चुके हैं।

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धार्मिक आस्था और अनुशासन की टक्कर
पिछले वर्षों में डीजे विवाद का बड़ा कारण रहे हैं। कई जगहों पर भक्तों और स्थानीय निवासियों के बीच तीखी झड़पें भी हुई थीं। कुछ युवाओं द्वारा कांवड़ यात्रा को “डांस-यात्रा” में बदलने की घटनाएं प्रशासन के लिए सिरदर्द बनी थीं।
इसी को देखते हुए इस बार प्रशासन ने कमर कस ली है। हरिद्वार से नजीबाबाद, मुज़फ्फरनगर, मेरठ होते हुए दिल्ली तक— पूरे मार्ग में 60 से अधिक चेक पोस्ट लगाए गए हैं जहां डीजे लोडिंग की सख़्त निगरानी हो रही है।
पुलिस-प्रशासन की तैयारियाँ
- 1500 से ज़्यादा अतिरिक्त पुलिस बल तैनात
- ड्रोन से निगरानी के आदेश
- 20 से ज़्यादा सीसीटीवी क्लस्टर एक्टिव किए गए
- कांवड़ मार्गों पर मेडिकल टीम और एंबुलेंस तैनात
- हर की पौड़ी और आसपास धारा 144 लागू
एसपी ट्रैफिक ने बताया कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में भीड़ में मौजूद रहेंगे।
जनता की प्रतिक्रिया
शिव भक्तों का एक बड़ा तबका प्रशासन के इस निर्णय से संतुष्ट है।
बरेली से आए कांवड़िया शिवम तिवारी कहते हैं,
“भाई साहब, ये पूजा है या मेला? हम तो जल चढ़ाने आए हैं भोलेनाथ को, डीजे बजा-बजाकर धक्का-मुक्की कौन देखना चाहता है?”
वहीं कुछ युवाओं को यह फैसला “अत्यधिक सख्ती” लग रहा है।
मेरठ से आए एक कांवड़ दल के सदस्य अनिल चौधरी बोले,
“हम कोई गलत गाना नहीं बजाते, सिर्फ भजन बजते हैं। सब डीजे गलत नहीं होते।”
प्रशासन ने इन दलीलों पर साफ़ किया है कि कोई अपवाद नहीं होगा।
मंदिर प्रशासन भी साथ
हर की पौड़ी के तीर्थ पुरोहित संघ ने प्रशासन के फैसले का स्वागत किया है।
महंत सुरेश गिरि जी ने कहा:
“यह पूजा-पाठ और साधना का समय है। भक्तों का ध्यान भंग करने वाले किसी भी तत्व को रोकना जरूरी है। प्रशासन सही दिशा में काम कर रहा है।”

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संभावित असर
इस बार भीड़ का अंदाज़ा 30 लाख से ऊपर का है — और यह संख्या शिवरात्रि के दिन और उसके एक दिन बाद तक तेज़ी से बढ़ेगी।
- ट्रैफिक दबाव बढ़ने की पूरी आशंका है
- रेलवे ने 12 स्पेशल ट्रेनें घोषित की हैं
- रोडवेज़ ने अतिरिक्त बसें लगाई हैं
लेकिन इन सबके बीच, कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस के कंधों पर है।
पिछले वर्ष की घटनाएँ—सीखा क्या?
2024 में शिवरात्रि के मौके पर हरिद्वार में दो कांवड़ दलों के बीच डीजे को लेकर झगड़ा हुआ था, जिसमें एक युवक घायल हुआ था। इस घटना के बाद हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि धार्मिक यात्राओं को “प्रदर्शन मंच” नहीं बनने देना चाहिए।
शायद यही कारण है कि इस बार हर बात पर दोबारा विचार किया गया है।
शिवरात्रि पर यह तय होगा कि हम आस्था को व्यवस्था के साथ कैसे जोड़ते हैं — बिना शोरगुल, बिना टकराव, और सबसे ज़रूरी — बिना हादसे।
निष्कर्ष:
हरिद्वार एक बार फिर शिव भक्ति में डूबा है, लेकिन इस बार धार्मिक आस्था और प्रशासनिक अनुशासन के बीच एक संतुलन खोजने की कोशिश हो रही है।
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