त्योहारों का मौसम जैसे-जैसे नजदीक आता है, बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। दिवाली का नाम सुनते ही रोशनी, खरीदारी और उपहारों की तस्वीरें आंखों के सामने घूमने लगती हैं। लेकिन इस चमक-दमक के बीच एक सच्चाई और भी है—फेक ऑफर्स यानी नकली छूट और धोखाधड़ी वाले ऑफर, जो हर साल लाखों लोगों को जाल में फंसा लेते हैं।
ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते दौर में 2025 की दिवाली पहले से कहीं ज्यादा डिजिटल हो गई है। हर तरफ मोबाइल पर नोटिफिकेशन, ईमेल और व्हाट्सएप मैसेज की बाढ़ आती है—“70% डिस्काउंट,” “फ्री गिफ्ट,” “दिवाली स्पेशल सेल”—लेकिन इनमें से कई सिर्फ फेक ऑफर साबित होते हैं।
फेक ऑफर्स का नया रूप
पहले ठगी फोन कॉल या ईमेल के जरिए होती थी, लेकिन अब ठग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और शॉपिंग वेबसाइट्स पर असली जैसी दिखने वाली नकली साइटें बनाकर लोगों को लुभाते हैं। ये साइटें असली ब्रांड्स जैसे Amazon, Flipkart या Myntra के नाम से मिलती-जुलती होती हैं। लिंक खोलते ही यूजर को “सीमित समय का ऑफर” दिखाया जाता है ताकि वो जल्दबाजी में कार्ड डिटेल्स डाल दे।
कई मामलों में लोग 999 रुपये में “स्मार्टवॉच” या 1999 रुपये में “ब्रांडेड जूते” खरीद लेते हैं, लेकिन पार्सल में टूटे खिलौने या खाली डिब्बे निकलते हैं। इस तरह के फेक ऑफर्स का शिकार हर वर्ग का व्यक्ति बन सकता है—क्योंकि ठग अब तकनीक का इस्तेमाल पहले से ज्यादा चालाकी से कर रहे हैं।
दिवाली का मनोविज्ञान और ठगों की चाल
दिवाली सिर्फ खरीदारी का त्योहार नहीं, भावनाओं का भी है। इस मौके पर लोग खुशियों में खर्च करने से पीछे नहीं हटते। ठग इसी मनोविज्ञान को समझकर अपने जाल बुनते हैं। जब हर तरफ “सेल” और “डिस्काउंट” की बातें होती हैं, तो दिमाग यह सोचता भी नहीं कि कहीं ये ऑफर असली है या नकली।
कई बार ठग ब्रांड्स के पुराने डेटा या लीक हुए नंबरों से टारगेटेड मैसेज भेजते हैं। वे जानते हैं कि दिवाली पर लोग मोबाइल, टीवी, फ्रिज या ज्वेलरी खरीदने को तैयार रहते हैं, इसलिए झूठे दावे जैसे “दिवाली मेगा ड्रा,” “100 ग्राहकों को मिलेगा फ्री गिफ्ट” जैसी बातें करके भरोसा जीत लेते हैं।
कैसे पहचानें फेक ऑफर्स
सावधानी ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। अगर किसी ऑफर में “असली से ज्यादा अच्छा” लग रहा है, तो समझ जाइए कुछ गड़बड़ है।
- किसी वेबसाइट पर खरीदारी से पहले उसका URL जरूर जांचें। “.com” या “.in” के आगे अजीब शब्द या नंबर दिखें, तो साइट नकली हो सकती है।
- आधिकारिक ऐप या वेबसाइट से ही लेनदेन करें, और सोशल मीडिया पर मिले लिंक पर क्लिक न करें।
- कार्ड या UPI डिटेल्स देने से पहले वेबसाइट का HTTPS सिक्योर कनेक्शन देखें।
- संदिग्ध ईमेल में दिए लिंक पर क्लिक करने के बजाय खुद वेबसाइट खोलकर जांच करें।
- असामान्य रूप से सस्ता प्रोडक्ट या “केवल आज का ऑफर” जैसी बातों से बचें—ये ठगी का पुराना तरीका है।
सरकार और साइबर एजेंसियों की चेतावनी
भारत में पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन ठगी के मामलों में तेजी आई है। भारत पल्स न्यूज के अनुसार, साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर त्योहारों के दौरान शिकायतों की संख्या लगभग 40% तक बढ़ जाती है। खासकर दिवाली जैसे त्योहारों के समय, जब ऑनलाइन लेनदेन में उछाल आता है, ठग सबसे ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।
साइबर पुलिस बार-बार चेतावनी दे चुकी है कि किसी भी अनजान वेबसाइट या ऐप से खरीदारी न करें। बैंक और पेमेंट कंपनियां भी ग्राहकों को “ओटीपी या पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें” की सलाह दे रही हैं।
सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसर ठगी
2025 में ठगी का नया ट्रेंड यह है कि कई फेक ऑफर्स अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के जरिए फैलाए जाते हैं। कुछ फर्जी अकाउंट खुद को “ब्रांड प्रमोटर” बताकर लोगों को डिस्काउंट लिंक भेजते हैं। ये लिंक या तो फिशिंग साइट्स पर ले जाते हैं या फिर ऐप डाउनलोड करवाकर डेटा चोरी करते हैं।
इसीलिए किसी भी ऑफर पर भरोसा करने से पहले यह जांचना जरूरी है कि उसे शेयर करने वाला व्यक्ति या पेज असली है या नहीं। भरोसे का कोई शॉर्टकट नहीं होता।
उपभोक्ताओं की भूमिका
साइबर सुरक्षा सिर्फ सरकार या कंपनियों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर उपभोक्ता की भी है। दिवाली की खरीदारी करते समय थोड़ी सी सावधानी बड़े नुकसान से बचा सकती है। अगर कोई संदिग्ध ऑफर दिखे, तो उसे दूसरों के साथ साझा न करें, बल्कि रिपोर्ट करें ताकि और लोग ठगे न जाएं।
अगर आप ठगी का शिकार हो जाएं, तो तुरंत बैंक और साइबर हेल्पलाइन को सूचित करें। हर मिनट की देरी नुकसान बढ़ा सकती है।
भारत पल्स न्यूज की सलाह
भारत पल्स न्यूज लगातार उपभोक्ताओं को जागरूक कर रहा है कि दिवाली जैसे अवसरों पर भावनाओं में बहकर फैसले न लें। खरीदारी में जल्दबाजी न करें और हमेशा अधिकृत ब्रांड वेबसाइट या विश्वसनीय स्टोर से ही सामान खरीदें।
डिजिटल इंडिया के दौर में सुविधा जितनी बढ़ी है, खतरे भी उतने ही बढ़े हैं। 2025 की दिवाली हमें रोशनी ही नहीं, जागरूकता का संदेश भी देती है—क्योंकि ठगी का अंधेरा तभी मिटेगा जब हम खुद सचेत रहेंगे।
त्योहार खुशियों का है, डर का नहीं। इसलिए इस बार जब आप दिवाली की खरीदारी करें, तो याद रखें—हर ऑफर सच्चा नहीं होता, लेकिन सावधानी हमेशा अमूल्य होती है।
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