
“शादी का जश्न था, लोग सजधज कर निकले थे, किसी ने नहीं सोचा था कि लौटकर सिर्फ मातम बचेगा।”
रविवार की दोपहर हाथरस जंक्शन कोतवाली क्षेत्र के महौ रोड पर एक अकल्पनीय दर्दनाक हादसा हुआ। एक बारात में जा रहे 11 वर्षीय मोहम्मद अली का सिर चलते बस की खिड़की से झांकते वक्त एक तेज रफ्तार डीसीएम वाहन की चपेट में आ गया, जिससे सिर धड़ से अलग हो गया।
खुशियों से मातम तक का सफर सिर्फ 20 सेकंड में
अलीगढ़ के तबेला रोड निवासी आस मोहम्मद अपने छोटे भाई साबुद्दीन और बाबू के बेटों साहिल व दानिश की बारात लेकर हाथरस के मेवली गाँव जा रहे थे। मोहम्मद अली बारात की बस में था और आस मोहम्मद खुद कार से साथ चल रहे थे। सब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे ही बस महौ रोड पर निर्माणाधीन पुल के निकट पहुँची, एक अनियंत्रित डीसीएम वाहन तेज़ी से पास आ गया।
बस की खिड़की पर बैठा अली अचानक डीसीएम की चपेट में आ गया, और एक झटके में उसका सिर शरीर से अलग हो गया। चीखें, अफरातफरी, और खून से सनी खिड़की… कुछ पलों में बस का माहौल मातम में बदल गया।
पिता की आंखों के सामने उजड़ा संसार
बस के पास चल रही कार में बैठे आस मोहम्मद को जैसे ही खबर मिली, उन्होंने गाड़ी रोक दी और भागकर मौके पर पहुंचे। उनका बेटा ज़मीन पर पड़ा था — सिर अलग, शरीर अलग।
वो सड़क पर बैठकर बेटे का सिर अपनी गोद में लिए रोते रहे —
“या अल्लाह! मेरा बच्चा… मुझे क्यों नहीं ले गया तू साथ?”
स्थानीय लोगों ने उन्हें संभालने की कोशिश की, लेकिन एक पिता की पीड़ा शब्दों से परे होती है।
चाचा ने उठाया कटे सिर को, गमछे में लपेटा
मोहम्मद अली के चाचा ने ज़मीन पर पड़ा सिर उठाया, उसे अपने गमछे में लपेटा और रोते हुए एक कोने में बैठ गए।
“कल तक यही सिर मेरे कंधे पर झूलता था, आज मेरे हाथों में है — लहूलुहान…”
निर्माणाधीन पुल बना मौत का कारण
जिस स्थान पर यह हादसा हुआ, वहाँ रेलवे फाटक पर एक फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा था। स्थानीय लोगों ने बताया कि वहां कोई सुरक्षा संकेतक, बेरिकेड, या गति नियंत्रण व्यवस्था नहीं है। वाहनों को संकरी जगह से निकलना पड़ता है, जिससे ऐसे हादसे अब आम हो गए हैं।
“हमने कई बार प्रशासन को लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आज एक बच्चा गया है, कल कौन जाएगा?” — एक स्थानीय दुकानदार
पुलिस ने लिया त्वरित एक्शन
पुलिस मौके पर पहुंची, डीसीएम चालक व बस चालक को हिरासत में लिया और बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्टम हाउस पर परिवार के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर चेहरा रो रहा था, हर आंख गीली थी।
दूल्हों की शादी के लिए चंद लोगों को भेजा गया
मोहम्मद अली चचेरे भाइयों की बारात में जा रहा था। हादसे के बाद शादी का माहौल भी मातमी हो गया। लेकिन सामाजिक मजबूरी के चलते, चंद लोगों के साथ दोनों दूल्हों को शादी के लिए भेज दिया गया।
“खुशियां ठंडी हो गईं, रस्में बस निभाई गईं,” — एक परिजन
भारत पल्स न्यूज़ की टिप्पणी — सवाल जो जवाब मांगते हैं
- क्यों निर्माणस्थल पर यातायात नियंत्रण के इंतज़ाम नहीं?
- क्यों बिना ट्रैफिक पुलिस के वाहनों को मनमाने ढंग से चलने दिया जा रहा है?
- क्या एक मासूम की जान इतनी सस्ती हो गई है?
एक मां की चुप्पी, एक पिता की चीख
इस खबर की सबसे मार्मिक बात ये है कि मोहम्मद अली की मां अब तक एक शब्द नहीं बोली हैं। उनका चेहरा स्तब्ध है, जैसे उन्होंने खुद को खो दिया हो।
वहीं, पिता आस मोहम्मद की आंखों में बस एक ही सवाल है —
“क्या मेरी गलती इतनी थी कि मैंने बेटे को बारात में भेजा?”
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